जगदलपुर। बस्तर वनमंडल अंर्तगत माचकोट वन परिक्षेत्र के कावापाल सर्किल के क्रमांक 1881 में साल बोर का प्रकोप हुआ है। सौ से अधिक साल वृक्षों को बोरर की इल्लियां भूसा बनाकर बर्बाद कर चुकी हैं। इधर बोरर से बेशकीमती साल वृक्षों की बर्बादी की जानकारी अब तक विभाग को नहीं है। बताया गया कि साल बोरर से खराब हुए वृक्षों की लकड़ियों इमारती नहीं रह गईं, इसलिए इन्हे जलाऊ बना कर बेचा जाएगा।
वर्ष 2015 में कोलेंग रेंज के तुलसी डोंगरी की तराई और माचकोट वन परिक्षेत्र के तीरिया सर्किल के कोररास बीट में कुछ साल वृक्षों पर बोरर की शिकायत मिली थी तब साल अनुसंधान केन्द्र जबलपुर की टीम जांच करने पहुंची थी। बस्तर में पहली बार एक साथ 100 से ज्यादा साल वृक्षों पर बोरर की शिकायत कावापाल सर्किल से मिली है, लेकिन वन विभाग को इसकी जानकारी नहीं हो पाई है।
ग्रामीणों से जानकारी मिलने के बाद नईदुनिया ने कावापाल सर्किल के कक्ष क्रमांक 1881 का दौरा किया। यहां बेंतजोड़ी नाला के ऊपर करीब पांच एकड़ में खड़े सौ से ज्यादा साल वृक्षों पर बोरर का प्रकोप मिला। पेड़ों में बोरर द्वारा किए गए छेद हैं वहीं इन सूखे पेड़ों के नीचे भूसा का ढेर लगा हुआ है।
सुनसान जंगल में इल्लियों द्वारा लगातार लकड़ी कुतरने की आवाज गूंज रही थी। इस इलाके की निगरानी करने वाले चौकीदार रघुनाथ भतरा और रघुनाथ धुरवा ने बताया कि साल के पेड़ों से भूसा झरने का क्रम एक महीना से जारी है।
बताया गया कि वन अधिकारियों को इस बीट में कालागुड़ा के सात- आठ ग्रामीणों सूखाए गए 553 साल वृक्षों की जानकारी है,लेकिन इसी बीट में बोरर प्रकोप की जानकारी नहीं है। शनिवार को वरिष्ठ वन अधिकारियों ने कावापाल सर्किल का दौरा किया था, तब भी वन रक्षक ने बोरर प्रकोप की जानकारी अधिकारियों को नहीं दी। कावापाल के ग्रामीणों ने बताया कि वन रक्षक इलाके में कभी- कभी ही आती हैं।
कटे थे लाखों पेड़
वर्ष 1096-97 में अविभाजित मध्यप्रदेश के कवर्धा और मंडला जिला के साल वनों में बोरर का व्यापक प्रकोप हुआ था। इसके चलते पांच लाख से ज्यादा साल वृक्षों को काटा गया था, वहीं प्रकोप रोकने के लिए ग्रामीणों की मदद ली गई थी। ग्रामीण बोरर कीट के सिरों की माला बनाकर वन विभाग को सौपते थे। बदले में विभाग ग्रामीणों को 75 पैसे प्रति सिर की दर से भुगतान करता था।
'साल बोरर का एक जीवन चक्र होता है, इसके चलते वर्ष विशेष में इसका प्रकोप साल वनों में नजर आता है। कावापाल के कक्ष क्रमांक 1881 में साल बोरर के प्रकोप की जानकारी नईदुनिया संवाददाता से मिली। वे स्वयं स्थल निरीक्षण करने जाएंगे और साल वृक्षों पर बोरर के प्रकोप की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को देंगे।' - मनीष कश्यप, प्रशिक्षु आईएफएस व प्रभारी माचकोट रेंज