राजिम (निप्र)। राज्य के सुप्रसिद्ध राजिम माघी पुन्नी मेला भगवान श्रीराजीव लोचन के जन्मोत्सव के साथ 14 फरवरी से शुरू हो गया। हजारों लोगों ने तड़के आस्था की डुबकी लगाई। भगवान का जन्मोत्सव मंदिर प्रांगण में धूमधाम से मनाया गया। श्रीराजीव लोचन का श्रृंगार देखते ही बन रहा था। पूजा के बाद मंदिर के कलश में नया लाल ध्वज चढ़ाया गया। पुजारियों ने गरूड़ की पूजा भी कराई। भीड़ को देखते हुए कुलेश्वर महादेव और भगवान श्रीराजीव लोचन मंदिर परिसर में पुलिस की तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी।
संगम स्थल पर श्रद्धालु रात 3 बजे से पहुंचने लग गए थे जो सुबह 11 बजे तक आते रहे। लोग अपनी सुविधा अनुसार ट्रैक्टर, यात्री बस, मेटाडोर, पिकअप, बैलगाड़ी आदि से आते रहे। लेकिन पिछले बार की तुलना में इस बार श्रद्धालुओं की अपेक्षित भीड़ नदी की धार और कुंड में नजर नहीं आई। महिलाओं ने पैरी, सोंढूर और महानदी की धार में डुबकी लगाकर दीपदान किया। स्नान के बाद श्रीराजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ महादेव का दर्शन कर अपने परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना की।
स्नान के बाद दर्शन
नहाने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ सीधे श्रीराजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर पहुंची। सभी ने अपने परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की मंगलकामना की। कई महिलाएं तीनों नदी, पैरी, सोंढूर और महानदी की धार में डुबकी लगाने के बाद दीपदान किया। बालू से शिवलिंग बनाकर वहीं नदी तट पर पूजा अर्चना की उसके बाद सीधे मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगे। मंदिर के बाहर तक लंबी लाइन लगी हुई थी। दर्शन और पूजा का सिलसिला प्रातः 3.30 बजे से देर रात तक चलता रहा।
खुद के ऊपर पानी छिड़ककर वापस गए
नदी तट पर पुन्नी स्नान के लिए लोग बड़ी संख्या में इकट्ठे थे, मगर कुंड में मटमैला पानी देखकर कई लोग अपने आप के ऊपर पानी छिड़ककर वापस चलते बने। कई ऐसे भी नजर आए जो नदी के बीच लगे नलों की टोटियों के नीचे बैठकर नहाया। जानकारी के मुताबिक कुंड निर्माण के दौरान जिन दो एसडीओ को कार्यपालन अभियंता ने जिम्मेदारी सौंपी थी, उनकी लापरवाही के चलते यह नौबत आई। जैसे ही कार्यपालन अभियंता को यह बात पता चला, वे कुंड में पोटाश और फिटकिरी डलवा कर पानी को साफ करने के लिए भरपूर प्रयास किया।
दिनभर रही रेलमपेल
राजिम पहुंचने वाले सभी मार्गों पर गाड़ियों की रेलमपेल दिन भर बनी रही। मसलन लोग ट्रैक्टर, यात्री बस, मेटाडोर, पिकअप, बैलगाड़ी आदि संसाधनों से आते जाते रहे। भीड़ दोपहर 2 बजे के बाद बढ़ने लगी। सर्वाधिक भीड़ दोनों मंदिरों के अलावा मेला मैदान मीना बाजार में रही। यहां लोग अनेकों प्रकार के झूले एवं सर्कस जैसे अनेक मनोरंजन का मजे लेते रहे।