दुर्ग।घुमंतू बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने चाइल्ड लाइन दुर्ग के सदस्यों ने नई पहल की है। चाइल्ड लाइन के सदस्य कार्यालयीन काम के बाद समय निकालकर ऐसे बच्चों को अक्षरज्ञान की सीख दे रहे हैं। इस काम में चाइल्ड लाइन दुर्ग की टीम लीडर सहित अन्य सदस्य भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
रेलवे स्टेशन में घूमने वाले बच्चों को अक्षरज्ञान चाइल्ड लाइन दुर्ग के सदस्य इन दिनों अक्षरज्ञान की सीख दे रहे हैं। दुर्ग रेलवे स्टेशन परिसर में ढाई से तीन दर्जन बच्चे दिनभर घूमते रहते हैं। इनके माता पिता भी स्टेशन के आसपास ही रहते हैं। इन बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजने के संबंध में माता पिता सहित बच्चों की कई बार काउंसिलिंग की जा चुकी है। लेकिन वे पढ़ाई के लिए बच्चों को भेजने तैयार नहीं होते हैं। इस पर चाइल्ड लाइन के सदस्यों ने ऐसे घुमंतू बच्चों को अक्षरज्ञान की सीख देने अभिनव पहल की है।
कार्यालयीन काम से पहले रोजना इन बच्चों को स्टेशन परिसर स्थित मंदिर के निकट अक्षरज्ञान सिखाया जा रहा है। इस अभियान की शुरूआत सात दिन पहले की गई है। बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी वर्णमाला लिखना व पढ़ना बताया जा रहा है। इन्हें एक से सौ तक का पहाड़ा भी पढ़ाया जा रहा है। वर्तमान में करीब दस घुमंतू बच्चे अक्षरज्ञान सीखने आ रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए पौन से एक घंटे का समय दिया जा रहा है। इस काम में चाइल्ड लाइन दुर्ग की प्रभारी सहित तीन अन्य सदस्य अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
रेलवे स्टेशन परिसर स्थित मंदिर के निकट लोहे की रेलिंग लगी हुई है। इस रेलिंग में हिंदी वर्णमाला,अंग्रेजी व पहाड़ा का चार्ट लगा दिया जाता है। चाइल्ड लाइन के सदस्य इस चार्ट के सहारे बच्चों को सीखाते हैं। हाथ पकड़कर उन्हें लिखना भी सीखाया जाता है। पढ़ाई,लिखाई के लिए उपयोग में आने वाली सामग्रियों की व्यवस्था भी चाइल्ड लाइन के सदस्यों ने की है। बच्चे भिक्षावृत्ति से न जुड़े इसे भी ध्यान में रखते हुए उन्हें शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
रेलवे स्टेशन परिसर के निकट रहने वाले घुमंतू बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस कड़ी में उन्हें चाइल्ड लाइन के सदस्यों द्वारा अक्षरज्ञान की सीख दी जा रही है। उन्हें लिखना भी सीखाया जा रहा है। चाइल्ड लाइन का यह प्रयास निरंतर जारी रहेगा और इस अभियान से अधिक से अधिक घुमंतू बच्चों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
भारती चौबे, प्रभारी चाइल्ड लाइन दुर्ग