
धमतरी। चिलचिलाती गर्मी में सूखे कंठ को तर करने घड़ों का शीतल जल मिल जाए तो क्या कहना। गर्मी के इस मौसम में ठंडे पानी के लिए मटकों से बेहतर कोई उपाय नहीं है। शहर-अंचल में ठंडे पानी के लिए इन दिनों मटकों की मांग बढ़ गई है।
शहर के इतवारी बाजार, रामबाग क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर मटके की बिक्री हो रही है। इसके अलावा शहर की गलियों में भी कुम्हारपारा की महिलाएं घूम घूम कर मटके का विक्रय कर रही हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे मटकों की मांग भी बढ़ रही है।
गर्मी को देखते हुए बड़े पैमाने में मटके तैयार किए जा रहे हैं। कुम्हार पारा के जीवन कुम्हार ने बताया कि गर्मी के सीजन में मटको की मांग बढ़ जाती है। मांग को देखते हुए बड़े पैमाने पर मटको तैयार किए जा रहे हैं। मटके का पानी पीने के शौकीन लोग ही मटके की खरीदी करते हैं, बाकी सब तो वाटर कूलर से पानी पीने लगे हैं।
मालूम हो कि शहर के कुम्हारपारा के अलावा आसपास के गांव से भी बड़ी तादाद में कुम्हार परिवार के लोग मटके और मिट्टी के बर्तन बेचने शहर पहुंचते हैं। इन दिनों कुम्हारपारा की महिलाएं शहर व आसपास के गांव में घूम घूम कर मटका बेंच रही हैं।
वर्तमान में मटकों की कीमत 60 रुपये से 80 रुपये के बीच बताई जा रही है, जो पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। कुम्हारिनों का कहना है कि प्रतिस्पर्धा के दौर में मटके और मिट्टी के बर्तन बेचना मुश्किल हो चला है, बावजूद इसके खर्च निकालने मटका बेच रहे हैं।
गर्मी के कारण मटकों की अधिक मांग है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा में सबसे ज्यादा किसी को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, तो वह है मजदूर और रोज कमाकर खाने वाला वर्ग। कुम्हारों को मिट्टी के बने बर्तन को बेंचने काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
हर साल गर्मी में मिट्टी के बने बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के हाथों की बनी सुराही, घड़े की डिमांड बढ़ जाती है।
गर्मी के दो महीने पहले शुरू हो जाती है तैयारी
शिवकुमार ने बताया कि पहले मटकी और सुराही बनाते ही हाथों हाथ बिक जाया करते थे, लेकिन अब ऐसे हालात नहीं है। गर्मी के समय ही पूछ-परख होती है। कुम्हारों ने बताया कि कारोबार मंदा हो गया है। बाजार में बेंचने के लिए तैयार मटकों को घर पहुंचाकर भी बेचा जा रह है।
कुम्हारों का कहना है कि गर्मी की तैयारी दो महीने पहले ही शुरू हो जाती है। तोरण प्रजापति, बरन प्रजापति, छन्नाू प्रजापति, जोहन प्रजापति, भुवन का कहना है कि गर्मी के मौसम और कुछ खास अवसर पर ही सामान बिकते हैं।