दंतेवाड़ा/जगदलपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू और स्वर्गीय महेन्द्र कर्मा के पुत्र पीसीसी सचिव छविन्द्र कर्मा ने शनिवार को कांग्रेस भवन में संयुक्त पत्रवार्ता लेकर कहा कि उन्हें झीरम कांड में जोगी और भाजपा की सांठगांठ का संदेह है। अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में अजीत जोगी, अमित जोगी और भाजपा ने मिलकर जिस तरह से कांग्रेस उम्मीदवार को चुनाव से बाहर कराया उससे झीरम कांड में भी इनकी मिलीभगत का संदेह और अधिक गहरा गया है। दोनों नेताओं ने कहा कि वे मांग करते हैं कि झीरम कांड की जांच सीबीआई हर दृष्टिकोण से करे और साजिश का पता लगाए कि कहीं इस घटना के पीछे कांग्रेस और भाजपा नेताओं की भी तो भूमिका नहीं थी। नेताद्वय ने कहा कि झीरम कांड मामले में अजीत जोगी, अमित जोगी का नार्को टेस्ट होना चाहिए ताकि हकीकत सामने आ सके। मलकीत सिंह गैदू ने कहा कि वह नक्सली हमले के शिकार कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में शामिल थे और इस घटना के बाद से ही कहीं न कहीं बस्तर की जनता के बीच झीरम कांड में जोगी पर भी संदेह चर्चा रही है। गैदू से जब यह पूछा गया कि इतने दिनों तक वह इस मामले में क्यों चुप थे? उन्होंने कहा कि झीरम कांड के बाद से ही इस घटना के पीछे जोगी और भाजपा सरकार दोनों पर ही संदेह किया जाता रहा है। पत्रवार्ता में चित्रकोट विधायक दीपक बैज भी उपस्थित थे लेकिन उन्होंने इस मामले पर कुछ नहीं कहा। विदित हो कि 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं सहित 29 लोगों को शहीद कर दिया था। शहीद होनें वालों में विद्याशरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा आदि कांग्रेस के कई बड़े नेता भी शामिल थे।
कर्मा ने बताया था जान को खतरा
छविन्द्र कर्मा ने कहा कि उनके पिता महेन्द्र कर्मा ने बताया था कि उनकी जान को राजनीतिक प्रतिद्वंदियों से खतरा है। छविन्द्र के अनुसार विधानसभा चुनाव 2003 के बाद रायपुर से कुछ शुभचिंतकों का महेन्द्र कर्मा के पास फोन आया था कि चुनाव जीतने के तुरंत बाद रायपुर न आएं नहीं तो यहां राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के शूटर उन्हें मार सकते हैं।