Dantewada Naxal Attack: अनिमेष पाल, जगदलपुर। Naxal Attack in Dantewada अरनपुर के नजदीक जिस जगह पर नक्सलियों ने विस्फोट की घटना की है, उससे पता चलता है कि नक्सलियों को पहले से ही जवानों के मूवमेंट का रुट मैप पता था। दो दिन पहले ही विस्फोटक वाली जगह के सौ मीटर पहले आमा तिहार मनाने के लिए नाका लगाया गया था। नाके पर जवानों की वाहन धीमी होने से नक्सलियों को विस्फोट करने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया। सुरक्षा बल के अधिकारियों का मानना है कि सोची-समझी रणनीति से नक्सलियों ने घटना के लिए व्यूह रचना की थी, जिसकी जद में जवान आ गए।
Chhattisgarh | 10 DRG jawans and one civilian driver lost their lives in an IED attack by Naxals in Dantewada, yesterday
Visuals from the site of the attack pic.twitter.com/DRtYbBZy1i
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) April 27, 2023
बस्तर में टैक्टीकल काउंटर आफेंसिव कैम्पेन (टीसीओसी) में दो वर्ष की असफलता से बौखलाए नक्सलियों काे आखिरकार सुरक्षा बल पर बड़ा हमला करने का मौका मिल गया। टेकुलगुड़ेम हमले के बाद से बैकफुट पर जा चुके नक्सलियों को आखिरकार स्माल एक्शन टीम को सक्रिय कर इस हमले को अंजाम देना पड़ा है। इस हमले के पीछे यहां सक्रिय मलांगिर एरिया कमेटी का हाथ होने की बात कही जा रही है। दंतेवाड़ा जिले में नौ अप्रैल 2019 को श्यामगिरी में विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हुए हमले के बाद नक्सलियों ने ये यह पहली बड़ी घटना की है। बुधवार की दोपहर जिले के अरनपुर क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान से लौट रहे जवानों के काफिले की वाहन को नक्सलियों ने निशाना बनाकर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्जोसिवज डिवाइज (आइईडी) ब्लास्ट किया, जिसमें सुरक्षा बल के डीआरजी दस्ते के 10 जवान बलिदान हो गए व गीदम निवासी एक वाहन चालक की मौत हो गई।
नक्सलियों की स्माल एक्शन टीम ने दिया हमले को अंजाम
विस्फोट के तरीके को देखने के बाद सुरक्षा बल के अधिकारी मानते हैं कि नक्सलियों की स्माल एक्शन टीम ने इस घटना को अंजाम दिया है। क्षेत्र में सुरक्षा बल के कैम्प होने से नक्सलियों को बड़े संख्या बल के साथ मूवमेंट करना आसान नहीं रह गया है। ग्रामीण वेशभूषा में नक्सलियों के स्माल एक्शन टीम के एक-दो सदस्य जवानों के ताक में थे और विस्फोट को अंजाम देने के तुरंत बाद ही वहां से भाग खड़े हुए। विस्फोट के आधे घंटे बाद सुरक्षा बल के जवान जब मौके पर पहुंचे तो बलिदानी जवानों के हथियार घटनास्थल पर ही बिखरे मिले, जिसे सुरक्षा बल ने अपने कब्जे में लिया है। अब तक नक्सली हमले का जो तरीका देखने को मिला है, प्रशिक्षत नक्सली लड़ाके विस्फोट के बाद घात लगाकर बैकअप पार्टी पर गोलीबारी करते हैं और हथियारों को लूटकर ले जाने का प्रयास करते हैं। इस घटना में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है।
भाग सके इसलिए काफिले की दूसरी वाहन पर निशाना
दंतेवाड़ा से करीब 70-80 डीआरजी के जवान नक्सल विरोधी अभियान में निकले थे। अभियान से वापसी के बाद अरनपुर कैम्प के बाहर जवानों को ले जाने गाड़ियां इंतजार में खड़ी थी। नक्सली इस बात को भली भांति जानते थे कि वाहन में सवार होकर ही जवान वहां से वापस लौटेंगे। इस पर नक्सली नजर लगाए हुए थे और जैसे ही मौका मिला ब्लास्ट कर बड़ा नुकसान पहुंचाया। सोची-समझी रणनीति से जवानों के काफिले के दूसरे नंबर की वाहन को निशाना बनाया गया। नक्सली यह जानते थे कि पहली गाड़ी को निशाना बनाने से पीछे आ रही दूसरी गाड़ी में सवार डीआरजी के जवान बैकअप बनकर नुकसान पहुंचा सकते थे। इसलिए पहले वाहन को निकलने दिया गया ताकि विस्फोट के बाद भागने का मौका मिल सके। विस्फोट के करीब आधे घंटे बाद अरनपुर थाने से बैकअप पार्टी घटनास्थल पर पहुंची, तब तक देर हो चुकी थी।
विस्फोट के बाद पूरा का पूरा गांव खाली
नक्सलियों ने अरनपुर और समेली के बीच आदिवासी बस्ती किकरीपारा के करीब विस्फोट की घटना की है। घटना के बाद से ग्रामीण डर से गांव छोड़कर जंगल की ओर भाग गए हैं। पूरा का पूरा गांव खाली हो गया है। सुरक्षा बल को सर्चिंग में गांव में एक भी महिला-पुरुष या बच्चे नहीं मिले हैं।