दंतेवाड़ा। नक्सली गतिविधियों के खिलाफ चलाए जा रहे पुलिस अभियानों को बड़ी सफलता तब मिली जब छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में नक्सली दंपती समेत पांच नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पित नक्सलियों पर कुल 12 लाख का इनाम घोषित था। सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने सामाजिक जीवन में लौटने की इच्छा जताई है और अब वे पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत समाज की मुख्यधारा में शामिल होंगे।
नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में सोमवार को तीन और नक्सलियों ने हथियार डालकर समर्पण किया। इन तीनों नक्सलियों पर पुलिस ने दो-दो लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। समर्पण करने वाले नक्सलियों की पहचान 35 वर्षीय आयता उर्फ नंदू माड़वी, हिड़मा माड़वी और 29 वर्षीय देवा हेमला के रूप में हुई है। ये तीनों मलंगीर एरिया कमेटी में सक्रिय थे और नक्सल गतिविधियों में लंबे समय से लिप्त थे।
दंतेवाड़ा के एसपी गौरव राय ने इस समर्पण की पुष्टि की। नंदू माड़वी पर अलग-अलग स्थानों पर पुलिस पार्टी पर गोलाबारी करने का आरोप है। वह कई मुठभेड़ों में शामिल रहा है। वहीं, हिड़मा माड़वी पिछले साल दिसंबर में ग्राम गोगुंडा पांतापारा के जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में भी सक्रिय रूप से शामिल था।
दंतेवाड़ा जिले में अब तक कुल 880 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया है, जिनमें से 204 नक्सली इनामी थे। पुलिस का "घर वापस आइए" अभियान नक्सलियों के आत्मसमर्पण में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
वहीं छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र के सीमावर्ती गढ़चिरौली जिले में रविवार को एक नक्सली दंपती ने आत्मसमर्पण किया। इस दंपती पर कुल आठ लाख रुपये का इनाम था। गढ़चिरौली पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, समर्पण करने वाले नक्सलियों की पहचान असिन राजाराम कुमार उर्फ अनिल और उसकी पत्नी अंजू सुल्या जाले उर्फ सोनिया के रूप में की गई है। असिन पर छह लाख रुपये और अंजू पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित था।
असिन ओडिशा में नक्सलियों की प्रेस टीम का 'एरिया कमेटी मेंबर' था और उस पर हत्या, लूट, और नक्सल गतिविधियों के कई संगीन आरोप दर्ज थे। पुलिस के मुताबिक, नक्सली दंपती लंबे समय से पुलिस के रडार पर थे और कई अभियानों के बावजूद फरार चल रहे थे।