नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। बिलासपुर एयरपोर्ट में सुविधाओं को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया की ओर से बताया कि, नाइट लैंडिंग की सुविधा के लिए अभी दो साल का समय लगेगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ज्यादा है। डिवीजन बेंच ने अफसरों से यह भी पूछा है कि दक्षिण कोरिया से डीवीओआर कब तक पहुंच रहा है। चीफ जस्टिस ने एएआइ (एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया) के समक्ष अधिकारी का शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए डिवीजन बेंच ने एक सप्ताह की मोहलत दी है।
बिलासपुर एयरपोर्ट में हवाई सुविधा की विस्तार को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई चल रही है। बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान एयरपोर्ट एथारिटी आफ इंडिया की ओर से बताया गया कि, नाइट लैंडिंग की सुविधा शुरू करने में अभी दो साल तक का समय लग जाएगा। राज्य शासन ने यह भी बताया कि, डीवीओआर भी मंगाया जा रहा है। इस जवाब पर कोर्ट ने एएआइ को निर्देश दिया कि विभाग के किसी सक्षम अधिकारी का हलफनामा के साथ पूरी जानकारी डिवीजन बेंच के समक्ष पेश करें। चीफ जस्टिस ने कहा कि शपथ पत्र में इस बात की जानकारी विशेष रूप से दी जाए कि दक्षिण कोरिया से डीवीओआर सहित अन्य उपकरणों की आपूर्ति कब तक की जा रही है और कब तक बिलासपुर एयरपोर्ट को यह उपकरण मिल जाएंगे। चीफ जस्टिस ने महत्वपूर्ण जानकारी पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
अधिवक्ता सुदीप ने कोर्ट से यह कहा
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने डिवीजन बेंच को बताया कि पिछले आदेश में कोर्ट ने नाइट लैंडिंग के लिए जरुरी मशीन डीवीओआर कब तक लगाई जा सकेगी इस संबंध में जानकारी मांगी थी। एएआइ ने अब तक जानकारी नहीं दी है।
ये भी पढ़े....
अरपा नदी संरक्षण: हाई कोर्ट ने नगर निगम का शपथ पत्र किया खारिज, नई कार्ययोजना पेश करने के निर्देश
अरपा के उद्गम स्थल के संरक्षण को लेकर जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान नगर निगम ने 100 प्रतिशत पानी को ट्रीटमेंट करके अरपा नदी में पेश करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। बिलासपुर नगर निगम में शपथ पत्र पेश कर बताया कि वह सिर्फ 60 प्रतिशत पानी को साफ करने में सक्षम है। बाकी 40 प्रतिशत पानी को बिना साफ किया ही नदी में छोड़ दिया जाएगा। इसका कोई उपाय भी नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को रखी गई है।
अरपा नदी के उद्गम स्थल के संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगी है। जिसकी मंगलवार को जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई में बिलासपुर नगर निगम ने शपथ पत्र पेश कर बताया कि उनके पास अभी जो पूरा सिस्टम मौजूद है उसमें सिर्फ 60 प्रतिशत पानी को ही स्वच्छ करने की क्षमता है। बाकी 40 प्रतिशत पानी बिना ट्रीटमेंट और सफाई के अरपा नदी में छोड़ दिया जाएगा। बाकी पानी का ट्रीटमेंट के सवाल पर निगम के अधिकारियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता कोई जवाब नहीं दे पाए। जिसके चलते डिवीजन बेंच ने निगम के द्वारा पेश शपथ पत्र को नामंजूर कर दिया। डिवीजन बेंच ने बिलासपुर नगर निगम को नए सिरे से एक नया शपथ पत्र पेश करने के लिए निर्देश दिए हैं। निर्देशों में यह भी कहा गया कि, नए शपथ पत्र में विस्तृत कार्य योजना की जानकारी अदालत को दी जाए। इसके साथ ही डिवीजन बेंच ने पेंड्रा में अरपा नदी के उद्गम स्थल को संवारने के लिए चल रहे कार्यों को लेकर जीपीएम कलेक्टर को निर्देशित किया कि संवर्धन स्थल पर कार्यों की प्रगति से अदालत को निरंतर रूप से अवगत करवाया जाए। मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को रखी गई है।