बिलासपुर। Shriram Mandir Bilaspur: छत्तीसगढ़ के हृदय स्थल बिलासपुर में एक प्राचीन मंदिर है। आज भी उसकी जानकारी सभी को नहीं है पर प्रदेश भर में लोगों का आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की विशेषता है जिससे इसे मनोकामना मंदिर भी कहा जाता है। हटरी चौक जूना बिलासपुर स्थित यह मंदिर दशहरा पर्व के दिन ही खुलता है। इस बार भी शाम 5:00 बजे समय से पहले ही आकर लाइन में खड़े हो गए थे भक्त जन ताकि जल्द से जल्द हम मंदिर खुलते ही भगवान श्रीरामचंद्र जी और माता सीता, लक्ष्मणजी और हनुमान जी के दर्शन कर सकें। क्योंकि मात्र 3 घंटे के लिए खोला जाता है।
इसलिए लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर से दूर-दूर से लोग पहुंचे दर्शानार्थ के लिए पर अंदर फोटो खींचना मना है। इसलिए हम बाहर के कहीं फोटो दिखा सकते हैं । अंदर क्या था इसकी जानकारी बता सकते हैं। अंदर में दो छोटे-छोटे मंदिर हैं दो फीट के। इसमें प्राचीन मूर्तियां भगवान रामचंद्र जी भ्राता लक्ष्मण जी माता सीता जी हनुमान जी की स्थापित हैं। यहां लोग नारियल सोनपान पत्ती प्रसाद लेकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। जैसे उनकी बारी आ गई अंदर गए और प्रभु के चरणों में प्रसाद रखकर प्रार्थना करके आगे बढ़ते गए। कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष मंदिर नहीं खोला गया था। इसलिए इस साल मंदिर खोला गया शासन की गाइडलाइन के अनुसार।
भक्तों की तादाद को देखते हुए एक घंटा अतिरिक्त समय बढ़ाया गया। इससे सभी भक्तजन दर्शन कर सके। मंदिर के कपाट बंद हो चुके हैं अब अगले वर्ष दशहरे के दिन ही खुलेंगे। इसे लेकर बुजुर्गों ने कहा कि भारत देश धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक आस्था से जुड़ा हुआ है, जहां अलग-अलग भाषाओं अलग-अलग संप्रदाय के लोग रहते हैं। पूरे विश्व में भारत की एक अलग पहचान रही है। यहां पर हर धर्म, हर समाज, हर जाति को अपने—अपने धर्म के अनुसार गुरु की पूजा करने, मानने का अधिकार है। अनेकता में एकता ही भारत देश का नाम है और इस देश में सभी को अपने-अपने संस्कृति भाषा को बढ़ाने की स्वतंत्रता है। किसी भी पर्व पर रोक नहीं है मंदिर तो अनेक हैं लेकिन कुछ ऐसे भी प्राचीन मंदिर हैं जिनसे लोगों की आस्था जुडी़ होती हैं। इसमें कोई ना कोई प्रासंगिक घटना या विशेषता से जुडी़ एक कहानी रहती है। कुछ इसी तरह की हम इस मंदिर को मानते हैं। यह 150 वर्ष से भी पुराना मंदिर है।