बिलासपुर। Rath Yatra: प्राचीन परंपरा के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दूसरे दिन से महाप्रभु जगन्नाथ भगवान बीमार हो गए हैं। भगवान को हल्का ज्वर आने के बाद उनका मुकुट उतार दिया गया है। भाई बलभद्र और बहरन सुभद्रा ने भी मुकुट नहीं पहना है। शनिवार को महाप्रभु को काढ़ा पिलाया गया। शाम को हल्के खाद्य पदार्थों का भोग लगाया गया। दलिया, खिचड़ी और मूंग दाल को इसमें शामिल किया गया।
रेलवे परिक्षेत्र स्थित श्री श्री जगन्नाथ मंदिर का कपाट अभी भक्तों के लिए बंद कर दिया गया है। महाप्रभु की सेवा में सात पंडे और पुजारी गोविंद पाढ़ी जुटे हुए हैं। पल-पल भगवान के स्वस्थ्य को लेकर नजर हैं। बताया गया कि सुबह भगवान बिल्कुल अस्वस्थ नजर आए। बुखार तेज होने के कारण उन्हें अदरक, लौंग, इलायची, काली मिर्च का काढ़ा पिलाया गया।
दोपहर में गिलोय का रस दिया गया। वहीं शाम को हल्का भोग लगाया गया। फिलहाल भक्तों को भगवान 10 जून तक दर्शन नहीं देंगे। इस बार कोरोना के कारण मंदिर के कपाट भक्तों के लिए पहले से बंद कर दिया गया है। 15 वें दिन महाप्रभु नवजोबन रूप में दर्शन देंगे। यानी भगवान स्वस्थ होकर एक नए रूप में भक्तों को नजर आएंगे। 11 जुलाई तक यह सिलसिला चलेगा। यही वजह है कि मंदिर परिसर में अभी सन्न्ाटा पसरा हुआ है।
12 जुलाई को रथयात्रा
मंदिर समिति के समन्वयक केके बेहरा ने बताया कि 12 जुलाई को गुंडिचा यात्रा(रथयात्रा) निकलेगी। इसके बाद भगवान अपने मौसी के घर रहेंगे। नवमें दिन बहुड़ा यात्रा होगी। अर्थात भगवान वापस अपने मंदिर पहुंचेंगे। कोरोना महामारी के कारण इस बार रथ में शहर भ्रमण नहीं होगा। परंपरा का निवर्हन करते हुए केवल औपचारिकता पूरी की जाएगी।
फलों का रस मंगाया गया
महाप्रभु के लिए जल्द स्वस्थ करने रविवार को विशेष फलों का रस तैयार किया जाएगा। जिसमें दवा के रूप में कुछ औषधी भी मिलाई जाएगी। इसे लेकर सेवक विशेष रूप से जुटे हुए हैं। वहीं भक्त अपने घरों में प्रार्थना के जरिए उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।