बिलासपुर। Bilaspur News: जिला मुख्यालय कोरबा से लेकर उप नगरीय क्षेत्रों तक लोगों को रियायती दर पर आवास बनाकर देने वाले गृह निर्माण मंडल में फिलहाल नई परियोजनाओं के लिए जगह नहीं। विभाग का कहना है कि अब भी पुरानी कालोनियों में कई मकान व दुकान के खरीदार नहीं मिले हैं। जब तक इनकी बिक्री नहीं हो जाती, तब तक नए प्रोजेक्ट के बारे में नहीं सोचा जाएगा। अब तक विभाग की ओर से एक दर्जन से अधिक आवासीय कालोनियाें का निर्माण किया जा चुका है।
गृह निर्माण मंडल के संभागीय कार्यालय कोरबा में नगर व उप नगरीय क्षेत्रों की विभिन्न कालोनियों में आवास व दुकान खाली हैं। इन्हें अब तक विक्रय नहीं कर पाने के कारण राज्य स्तर से काफी दबाव है। वर्तमान में स्थिति यह है कि यहां अलग-अलग प्रकार के 238 मकान, छह हाल व दुकान को लेने वाला कोई नहीं है। इन मकानों व दुकानों को बेचने के लिए मंडल के अधिकारी प्रयास में जुटे हैं, पर काफी प्रयास के बाद भी खरीदार आगे नहीं आ रहे हैं। जब तक पुरानी कालोनियों के मकान नहीं बिक जाते तब तक नई आवासीय परियोजना की स्वीकृति नहीं दी जाएगी। एक दर्जन से अधिक आवासीय कालोनियां बना चुके मंडल के पास अब जिले में नया काम नहीं है। राज्य मुख्यालय से भी नए प्रोजेक्ट लेने पर रोक लगा दी गई है।
जाम पड़ा है 44 करोड़ से अधिक राजस्व
वर्तमान में जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में निर्मित कालोनियों में 238 मकान, छह व्यावसायिक हाल व दुकान को लेने वाला कोई नहीं। इन मकानों व दुकानों को बेचने के लिए हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी तरह तरह के प्रयास में जुटे हैं पर खरीदार आगे नहीं आ रहे हैं। इसके चलते मंडल का भवनों के निर्माण में लगी लागत व होने वाला लाभ मिलाकर 44 करोड़ 71 लाख 79 हजार रुपये जाम हो गए हैं। यहां पदस्थ अधिकारियों, कर्मचारियों को मूल काम के साथ-साथ कालोनियों के ऐसे मकान व दुकान जो नहीं बिक पाए हैं, उन्हें बेचने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
मूल्य देखकर भाग रहे हितग्राही
सामान्य कीमत व बेहतर लोकेशन वाले मकान व दुकानों को बोर्ड पहले ही बेच चुका है। पर उन दुकानों व मकानों को लोग नहीं खरीदना चाहते हैं, जो बाजार की मांग के विपरीत काफी अंदर या ऊपर की मंजिल में हैं। इनका मूल्य भी अधिक है, जिससे हितग्राही अच्छी योजना के बाद भी दूर भाग रहे, पर बोर्ड इसे लेकर समझौता करने या मूल्य शिथिल करने तैयार नहीं। आकर्षक छूट देकर विभाग उन मकानों को बेचने की जुगत कर रहा है। मूल्य वर्तमान समय के अनुसार घटाई जाए तो संभव है लोग आगे आएं।
उरगा प्रोजेक्ट में सबसे ज्यादा चुनौती
सबसे अधिक राशि व मकान उरगा व झगरहा में हैं, जो नहीं बिक रहे। इसके कारण हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त ने दफ्तर तक को शिफ्ट करने का निर्देश जारी किया है। अब शहर के बीच स्थित संभागीय कार्यालय को 25 किलोमीटर दूर उरगा के सेमीपाली कालोनी में ले जाने की तैयारी चल रही। दफ्तर के अधिकांश सामान शिफ्ट हो चुके हैं। उरगा में 83 मकान विक्रय के लिए शेष हैं। ईई एलपी बंजारे ने कहा कि मुख्यालय से उन मकानों के विक्रय का दायित्व मिला है जो नहीं बिके हैं। जब तक मकान नहीं बिक जाते तब तक नए प्रोजेक्ट नहीं शुरू होंगे। मकानों को बेचने के उद्देश्य से ही यहां से दफ्तर को उरगा में शिफ्ट किया जा रहा है।