बिलासपुर।Vegetable Rate List: छत्तीसगढ़ का ग्रीष्मकालीन कोचई (अरबी) अब न्यायधानी के चिल्हर बाजार में आने लगा है। 40 से 50 रुपये प्रतिकिलो भाव बिक रहा है। सब्जी विक्रेताओं की मानें तो कोचई के साथ इसके पत्ते की भी मांग है। गर्मी बढ़ने के साथ और भी अच्छे क्वालिटी की कोचई आने लगेगा। बता दें कि कोचई कांदा प्राकृतिक तौर पर जमीन के नीचे उगाया जाता है। यह एक कंद के रूप में प्राप्त होता है। कोचई का उपयोग ज्यादातर सब्जी के रूप में किया जाता हैं, लोकप्रिय सब्जी होने के साथ-साथ इसे बेहद गुणकारी भी माना जाता है।
छत्तीसगढ़ में यूं तो तीन प्रकार के कोचई बाजार में बिकने आता है। तिफरा सब्जी मंडी के थोक सब्जी विक्रेता
कोमलराम डड़सेना का कहना है कि
पहला देशी कोचई देशी कोचई बरसात में जून एंव जुलाई माह में लगाया जाता है। और इसे खेत के मेड़ में या मांदा बनाकर या कियारी बनाकर लगाते हैं। दूसरा सारू कोचई यह देशी कोचई से थोड़ा बड़ा आकार का होता है, कोबर कचरा वाले जगह में इसकी उपज होती है। तीसरा सबसे ज्यादा बिकने वाला गर्मी कोचई है। बिलासपुर में सबसे अधिक कवर्धा जिले से आता है। यह कोचई की उपज नदी के ढलान क्षेत्र में, और नदी की रेत में अच्छी होती है इसकी फसल तीन से चार माह में निकल जाती है। मार्च-अप्रैल से ही बाजार में आने लगता है। जिस जगह की मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाती हैं जहां हल (नांगर) से जोताई कर कोचई लगाया जाता हैं। यह सभी प्रकार की मिट्टी में नहीं होती है, इसे काली मिट्टी मे ही उगाया जाता है।
हरी सब्जियों का भाव यथावत
बुधवार की सुबह बिलासपुर के मंगला, बृहस्पति बाजार, सरकंडा व रेलवे मार्केट बुधवारी चिल्हर बाजार में हरी सब्जियों का भाव यथावत रहा। लाल, चेंज, बर्रे (कुसुम), पालक, चौलाई व बथुआ भाजी सस्ती रही। प्रति किलो 10 रुपये किलो भाव बिक रहा था। वहीं धनिया 15 रुपये था। आलू, प्याज, टमाटर, लौकी, मूली, बैंगन, पत्ता गोभी व हरे मटर का भाव 10 से 20 रुपये किलो है। जबकि परवल, भिंडी, करेला, ककड़ी व बरबट्टी 50 से 120 रुपये तक बिक रहे हैं। खीरा, ककड़ी, गाजर, मूली की मांग अधिक है।