National Farmers Day 2023: राधाकिशन शर्मा। बिलासपुर(नईदुनिया)। महिला किसान रत्ना देवी शर्मा ने अपने संकल्प व दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर लाखासार गांव की तस्वीर और यहां के किसानों की तकदीर बदल दी है। उनके प्रयासों से यहां का हर किसान आज आत्मनिर्भर व समृद्ध बन गया है। करीब पांच हजार की जनसंख्या वाले लाखासार में आज खेतों में जैविक फसल ही नजर आती है। यहां के किसान अमरूद, केला समेत अन्य उद्यानिकी फसल भी ले रहे हैं। इससे हर किसान वर्ष भर में औसतन पांच लाख रुपये तक कमा रहा है। रत्ना देवी ने पहले स्वयं रासायनिक खाद को तिलांजलि दी, उसके बाद किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया। उनकी यह मुहिम आज आसपास के कई गांवों के किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है।
रत्ना देवी लाखासार की सरपंच होने के साथ ही प्रगतिशील किसान के रूप में भी पहचानी जाती हैं। खेती में उन्होंने कई नवाचार किए हैं। रासायनिक खाद के लगातार प्रयोग से खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही थी। इसे देखते हुए उन्होंने जैविक खाद का उपयोग शुरू किया। शुरुआती दो वर्षों में धान का उत्पादन कम हुआ, लेकिन तीसरे वर्ष से जैविक खाद का असर फसल पर दिखाई देने लगा। इसके बाद उन्होंने दूसरे किसानों को जैविक खाद के उपयोग के लिए प्रेरित किया। पहले दो वर्ष उत्पादन घटने पर किसान इसे घाटे का सौदा मार रहे थे।
कुछ फिर से रासायनिक खाद की ओर लौटना चाह रहे थे, लेकिन रत्ना देवी ने उन्हें समझाया और कहा कि थोड़ा सब्र करेंगे तो फल मीठा मिलेगा। उनकी फसल की कीमत अधिक मिलेगी। किसानों ने उनकी बात मानी और आज सभी इस बात से बहुत खुश हैं कि जैविक खेती से उनकी आमदनी तो बढ़ी ही, खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ गई है। रत्ना देवी अब फसल परिवर्तन पर जोर दे रही हैं। उन्होंने धान के अलावा अमरूद का बगीचा भी तैयार किया है। उद्यानिकी से ही उन्हें एक वर्ष में पांच लाख रुपये तक की आय हो रही है। उनसे प्रेरित होकर दूसरे किसान भी अमरूद और केले की फसल ले रहे हैं।
मल्हार की विद्या देवी ने भी किया नवाचार
जिले के ग्राम मल्हार की विद्या देवी का नाम भी नवाचार करने वाली किसानों में शामिल है। विद्या बताती हैं कि वे बीते तीन वर्षों से रंग-बिरंगी गोभी की खेती कर रही हैं। शुरुआत में 50 डिसमिल में लगाया था। फसल अच्छी हुई तो रकबा बढ़ा दिया। इस वर्ष तीन एकड़ में खेती कर रही हैं। उन्होंने बताया कि केले की भी खेती कर रही हैं। गोभी मार्च से निकलनी शुरू हो जाएगी।
विद्या ने बताया कि केले की फसल से वे एक वर्ष में पांच लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित करती हैं। गोभी से बीते वर्ष दो लाख रुपये की आय हुई थी। विद्या बताती हैं कि खेतों में काम करने के लिए वे महिलाओं को ही रखती हैं। इसके पीछे उनका उद्देश्य महिलाओं को खेती के गुर सिखाना और स्वावलंबी बनाना है। विद्या ने बताया कि उनसे प्रेरित होकर गांव के किसान भी अब नवाचार कर आमदनी कर रहे हैं।