बिलासपुर। साल 2021 में भारतीय सिनेमा जगत में साउथ की सुपर डुपर हिट फिल्म पुष्पा: द राइज ने तहलका मचा दिया था। अभिनेता अल्लु अर्जुन और अभिनेत्री रश्मिका मंदाना की जोड़ी ने जंगल में रक्त चंदन की तस्करी को लेकर दर्शकों के बीच ऐसा असर छोड़ा कि अभी तक अल्लु के रक्त चंदन और अकड़ याद है। युवाओं से लेकर अधिकांश लोगों में अब रक्त चंदन के बीज व पौधे की मांग बढ़ती जा रही है।
वन संपदा योजना अब वरदान बनने जा रही है, उस रक्त चंदन के लिए, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकटग्रस्त प्रजाति की सूची में शामिल किया जा चुका है। योजना में जिन प्रजातियों को लेकर रुझान बढ़ता नजर आ रहा है, उसमें यह शीर्ष पर है। वन विभाग की रोपणियों में सालों बाद पौधों की खरीदी को लेकर रुझान देखा जा रहा है। यह भी पहली बार होगा जब निजी क्षेत्र, शासकीय मांग से काफी आगे चल रहा है। चाही जा रही प्रजाति के पौधों के नहीं मिलने से मांग का दबाव निजी नर्सरियों पर बढ़त लेता नजर आ रहा है। रक्त चंदन ऐसी प्रजाति है, जिसके रोपण के लिए निजी क्षेत्र की मांग सबसे ज्यादा है।
ग्रीष्म ऋतु है खास
धीमी गति से बढ़ने वाले रक्त चंदन को तेज धूप बेहद पसंद है। यही वजह है कि यह 26 से 32 डिग्री सेल्सियस के तापमान में जोरदार बढ़वार लेता है। शीत ऋतु में इस पर नजर रखना बेहद जरूरी माना गया है क्योंकि यह पाला की गिरफ्त में बहुत जल्द आ जाता है। तना सूख रहा है, मतलब पाला का हमला हो चुका है।
बीज नहीं, पौधे लें
वानिकी विज्ञानियों के मतानुसार रक्त चंदन के रोपण के लिए एक साल की उम्र वाले पौधे सही होते हैं। बीज में अंकुरण क्षमता कम होती है, इसलिए पौधे ही लिए जाएं। यह वन विभाग की नर्सरी के अलावा निजी क्षेत्र की नर्सरियों में आसानी से उपलब्ध है।
25 साल में तैयार
अच्छी बढ़वार और भरपूर कीमत के लिए रक्त चंदन के पेड़ की 25 साल की आयु बेहतर मानी गई है। इस अवधि में 18 से 20 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच चुकी यह प्रजाति प्रति 500 पेड़ का समूह 500 किलोग्राम लकड़ी देने में सक्षम है।
संकटग्रस्त प्रजाति
संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम नहीं होने से रक्त चंदन को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के तहत संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में शामिल कर लिया गया है। आइसीयूएन की रेड डाटा बुक में भी इसी श्रेणी में दर्ज किया जा चुका है।
प्रकृति द्वारा बहुत से बहुमूल्य उपहार हमें मिले हैं। उनमें से एक रक्त चंदन की लकड़ी भी है। रक्त चंदन के अंदर पालीफेनोलिक कंपाउंड, ग्लाइकोसाइड, जरूरी तेल, फ्लेवोनोइड, टैनिन और फेनोलिक एसिड जैसे कई फाइटोकेमिकल्स होते हैं। कुल मिलाकर एक बेहद गुणकारी लकड़ी है जिसके उपयोग से कई तरह के स्किन इंफेक्शन से छुटकारा पाया जा सकता है।
अजीत विलियम्स, वानिकी विज्ञानी, बीटीसी कालेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर