Bilaspur News: बिलासपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज का सपना अब गांव में साकार होते दिखाई दे रहा है।अकलतरी की महिलाएं ना केवल स्वावलंबी बन गई हैं वरन नारी सशक्तीकरण और स्वावलंबन की चमकदार तस्वीर भी पेश कर रही हैं। गोठानों में संचालित ग्रामीण औद्योगिक केंद्र इनके लिए वरदान साबित हो रहा है। कुटीर उद्योग के जरिए महिलाएं स्वावलंबी के साथ ही समृद्ध भी हो रही हैं। अब तो गांव की अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करने के अलावा इन्हें व्यवसाय से जोड़ रही हैं।
जय भारत स्व सहायता महिला समूह की सदस्य आरती धीवर का कहना है कि पहले हम पूरी कुशलता और दक्षता से घर चलाते थे लेकिन अब उद्योग भी चला रहे हैं। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना नरवा गरुवा घुरुवा बाड़ी में से एक रीपा योजना का प्रभावी असर अब गांवों में नजर आने लगी है। अकलतरी, बिल्हा की महिलाएं इन दिनों आत्म विश्वास से भरी हुई है। वे रोजगार मांगने नहीं जा रही हैं, वे लोगों को रोजगार दे रही है। रीपा से उनका सपना सच हुआ है। उन्होंने ऐसे क्षेत्र में अपना काम आरंभ किया है, जहां मांग ज्यादा थी लेकिन आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। यह क्षेत्र था केटल फीड का। अकलतरी की महिलाओं ने इसका उद्यम लगाया। मांग इतनी अधिक आ रही है कि मांग की तुलना में आपूर्ति नहीं कर पा रही है।ग्रामीणों इलाकों में विकास की बयार बह रही है। महिलाओं और युवाओं के सपने अब हकीकत में तब्दील हो रहे हैं। आरती के साथ-साथ समूह की अन्य सात महिलाएं इस गतिविधि से जुड़ी हुई है।
अकलतरी में श्वेत क्रांति की शुरुआत
अकलतरी में रीपा के तहत पशु आहार निर्माण इकाई की स्थापना की गई है। क्षेत्र के दूध उत्पादक पशु पालकों द्वारा पशु आहार की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए संचालित इस गतिविधि से ग्रामीणों महिलाओं को रोजगार मिला है। पशुपालन विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में समूह द्वारा उच्च गुणवत्ता के संतुलित पशु आहार निर्माण का कार्य प्रारंभ कर क्षेत्र के पशुपालकों को बिक्री की जा रही है। अब तक इन महिला समूह द्वारा 172 क्विंटल पशु आहार का निर्माण किया गया है, जिसमें चार लाख 30 रूपये की बिक्री कर ली है। वर्तमान में 100 क्विंटल पशु आहार का आर्डर भी प्राप्त हुआ है।
पौष्टिकता से भरपूर तैयार हो रहा पशु आहार
इस यूनिट में मकई दलिया, गेहूं दलिया, कपास खली, कोड़ा खली, कैल्शियम व विटामिन पाउडर, सरसों खली तथा गुड़ का सीरा आदि मिलाकर पशु आहार तैयार किया जाता है। इस यूनिट की प्रतिमाह निर्माण क्षमता 400 से 1500 क्विंटल है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 12 मई को प्रवास के दौरान भेंट मुलाकात कार्यक्रम में अकलतरी रीपा में संचालित गतिविधियों और इससे जुडृकर स्वावलंबन की नई कहानी गढ़ रही महिलाओं की सराहना भी की थी। रीपा के जरिए महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।