
बिलासपुर, नईदुनिया न्यूज। महानदी के पानी को लेकर छत्तीसगढ़ को घेरने वाली ओडिशा सरकार इंद्रावती नदी के मामले में खुद फंस गई है। सिंचाई विभाग के इंजीनियरों ने गूगल के जरिए जब ओडिशा में इंद्रावती नदी में हुए निर्माण को खंगाला तो पता चला कि उन्होंने छत्तीसगढ़ को सूचना दिए बिना ही बड़े बड़े टर्बाइन लगाकर इस नदी के पानी को ओडिशा की तरफ मोड़ दिया है। इससे बस्तर में जलसंकट की स्थिति बनने लगी है। अब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की 11सितंबर को दिल्ली में होने वाली वाली बैठक में प्रदेश सरकार इंद्रावती को लेकर ओडिशा सरकार को घेरने की तैयारी में है।
प्रदेश की बड़ी आबादी महानदी और उसकी सहायक नदियों के पानी से गुजारा करती है। यही कारण है कि महानदी के पानी का बंटवारा प्रदेश के लिए बहुत ही संवेदनशील मामला माना जा रहा है। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से महानदी के पानी को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा सरकार की दिल्ली में बैठक होने वाली है। इसमें प्रदेश का पक्ष मजबूती से रखने के लिए सिंचाई विभाग के विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम बनाई है।
जिन्होंने महानदी के अलावा ओडिशा की ओर से छत्तीसगढ़ आने वाली एकमात्र इंद्रावती नदी का भी अध्ययन किया है। इसके लिए इंजीनियरों ने गूगल मैप और ओडिशा सरकार द्वारा नेट में डाली गई जानकारी खंगाल डाली है। इसमें उन्हें ओडिशा सरकार द्वारा इंद्रावती में बनाए गए बड़े-बड़े प्रोजेक्ट की जानकारी हाथ लगी है। इसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट अपर इंद्रावती हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट है। इसके जरिए नदी के पानी बड़े पैमाने पर डायवर्ट कर दिया गया है। इससे ओडिशा से छत्तीसगढ़ की तरफ कम पानी आ रहा है।
इसी तरह इस नदी को कई और दूसरी जगहों पर भी रोका गया है। अधिकारियों ने गूगल के जरिए ओडिशा का पूरा कच्चा चिट्ठा निकालकर मुख्यमंत्री के साथ जाने वाले अधिकारियों की टीम को थमा दी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री को भी इंद्रावती नदी की पूरी जानकारी दी गई है। इस तरह एक तरफ जहां ओडिशा सरकार महानदी का मुद्दा केंद्र की बैठक में उठाएगा तो छत्तीसगढ़ सरकार भी इंद्रावती का मामला सामने करके उनकी भी पोल खोलने की तैयारी में है।
नदी को नाले में मोड़ दिया
ओडिशा के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ की सीमा के पास ही इंद्रावती नदी के पूरे पानी को रोककर ओडिशा की तरफ बहने वाले जोरा नाला में मोड़ दिया था। इससे छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने के साथ ही नदी सूख जाती थी। इस बात लेकर राज्य शासन ने जमकर विरोध किया तब कहीं जाकर राज्य की सीमा के पास एक स्ट्रक्चर बनाकर दोनों राज्य नदी के पानी को 50-50 प्रतिशत बंटवारा करने को राजी हुए। फिलहाल ओडिशा सरकार उस ढ़ांचे का निर्माण करा रही है।
महानदी खास क्यों
छत्तीसगढ़ में होने वाली बारिश का दो तिहाई पानी अंत में जाकर महानदी में मिल जाता है। इस लिहाज से यह नदी प्रदेश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जिले में बहने वाली अरपा, मनियारी जैसी नदियां बहकर शिवनाथ नदी में मिलती है। इसके बाद शिवनाथ नदी अंत में जाकर महानदी में मिल जाती है। ओडिशा सरकार सीधे महानदी के पानी का उपयोग करने का तो विरोध कर ही रही है।
इसकी सहायक नदियों में भी वे किसी तरह के निर्माण करने के खिलाफ है। अगर ऐसा हुआ तो राज्य का बड़ा हिस्सा सूखे की चपेट में आ जाएगा। क्योंकि बारिश के बाद एनीकट, डायवर्सन, बैराज और बांधों में रुका पानी ही लोगों का सहारा होता है। इसके अलावा इन्हीं नदियों से खेतों और उद्योगों को पानी मिलता है। राज्य में होने वाली बारिश पर ओडिशा सरकार के दावे से भी मामला गंभीर हो गया है।
ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की बैठक 11 सितंबर को दिल्ली में होनी है। अभी कुछ कहना ठीक नहीं होगा। बैठक के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। पीके वर्मा, अधीक्षण अभियंता जगदलपुर, जल संसाधन विभाग