बिलासपुर। Bilaspur News: कोरबा जिले में सरकारी जमीनों की अवैध खरीदी बिक्री पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर कार्यकारी चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। जनहित याचिका की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कलेक्टर कोरबा को नोटिस जारी कर तहसीलदार,राजस्व निरीक्षक व पटवारी की संयुक्त टीम बनाकर सीमांक करने का निर्देश दिया। सीमांकन पश्चात विस्तृत रिपोर्ट डिवीजन बेंच के समक्ष पेश करने कहा।
कोरबा निवासी राजेश पांडेय ने वकील के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा है कि जिले के दादरखुर्द स्थित सरकारी जमीनों की बेतहाशा खरीदी बिक्री की जा रही है। इस काम में भूमाफियाओं के अलावा प्रभावशाली बिल्डर भी शामिल है। कुछ बिल्डरों के द्वारा अवैध निर्माण भी किया जा रहा है। याचिका के अनुसार शासकीय जमीन की हो रही अवैध खरीदी बिक्री पर रोक लगाने के अलावा किए जा रहे कब्जे पर रोक लगाने के लिए अनुविभागीय अधिकारी से लेकर तहसीलदार और कलेक्टर के समक्ष आवेदन भी दिया गया था।
जिले के आला अफसर शासकीय भूखंडों को सुरक्षित रखने और कब्जाधारियों के चंगुल से मुक्त कराने गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। मामले की प्रारंभिक सुनवाई जनवरी 2020 में हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में हुई थी। प्रकरण की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट की नोटिस के बाद राज्य शासन ने महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी के माध्यम से जवाब पेश कर कोर्ट को जानकारी दी थी कि शासकीय जमीन पर किए जा रहे अवैध निर्माण पर रोक लगा दी है। राज्य शासन के जवाब के बाद डिवीजन बंेच ने एक आदेश जारी कर अवैध निर्माण पर रोक लगा दी थी।
बुधवार को जनहित याचिका पर डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने अपने वकील के जरिए कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के रोक के बाद भी सरकारी जमीनों की खरीदी बिक्री धड़ल्ले से जारी है। इस पर अब तक प्रभावी तरीके से रोक नहीं लग पाई है। डिवीजन बेंच ने राज्य शासन व कलेक्टर कोरबा को नोटिस जारी कर तहसीलदार की अगुवाई में राजस्व अधिकारियों की टीम बनाने और सरकारी जमीनों का सीमांकन कराने व विस्तृत सीमांकन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश्ा दिया है।