बिलासपुर।Court News in Bilaspur: विशेष अदालत ने दुष्कर्म के एक आरोपी युवक को 20 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अलग-अलग धाराओं में विशेष अदालत ने पांच-पांच साल की सजा के अलावा जुर्माना भी ठोंका है। जुर्माने की राशि ना पटाने पर अतिरिक्त सजा भुगतने का फरमान भी जारी किया है। विशेष कोर्ट ने सभी सजाओं को साथ-साथ चलाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में गंभीर टिप्पणी भी की है। विशेष अदालत ने कहा है कि यौन हिंसा अमानवीय कार्य होने के अतिरिक्त महिला की गोपनीयता और पवित्रता के अधिकार का ऐसा उल्लंघन है जो उसके संपूर्ण जीवन को प्रभावित करता है।
यह ना सिर्फ उसके सर्वोच्च सम्मान पर गंभीर प्रहार है बल्कि उसके आत्मविश्वास तथा उसकी प्रतिष्ठा के प्रति अपराध होकर उसे कम कर उसे अपमानित करता है। जिसका बालकांे के साथ होने पर उसकी गंभीरता और अधिक हो जाती है।
विशेष अदालत ने कहा कि विशेषकर किसी अवयस्क बालिका को शादी का झांसा देते हुए उसका शारीरिक शोषण किया जाना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में इस प्रकृति के अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है जो चिंता का विषय है।
क्या है मामला
पीड़िता की मां प्रथम सूचना रिपोर्ट में कहा है कि परिवार मजदूरी का कार्य करती है। 22 अगस्त 2020 को उसके पति सामान लेने बाजार गये हुए थे। घर में अपनी बेटी के साथ थी। रात नौ बजे बेटी बिना बताये घर से कहीं चली गई। जिसकी जानकारी वह पति को घर वापस आने पर दी। आसपास तलाश करने के बाद भी बेटी नहीं मिली। दो दिन पहले मोबाइल नंबर 7389167632 से एक व्यक्ति द्वारा फोन करके स्वयं का नाम परवीन बताकर बेटी को उसके घर भेलवापारा रतनपुर में होना बताया था।
जानकारी के बाद पांच सितंबर को रतनपुर गए तब बेटी घर के छत के उपर दिखी और उन्हें देखकर नीचे आई। बेटी से घर वालों ने बात नहीं करने दी। सात सितंबर को मां ने परवीन सूर्यवंशी के खिलाफ थाने में बहला फुसलाकर बेटी को भगा ले जाने की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपित के कब्जे से नाबालिग बेटी को छुड़ाया और मुलाहिजा कराया। मुलाहिजा में दुष्कर्म की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेज दिया है।
पीड़िता को क्षतिपूर्ति देने के निर्देश
विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि पीड़िता के साथ किए अपराध से उसे हुई क्षति की प्रतिपूर्ति धन के रूप में नहीं हो सकती। परंतु फिर भी उसके शारीरिक, मानसिक एवं स्वास्थ्य के लिए और उसके आगामी भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए पीड़िता प्रतिकर योजना के दिशानिर्देश के पालन में क्षतिपूर्ति प्रदाय किया जाना न्यायहित में उचित प्रतीत होता है। विशेष अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को क्षतिपूर्ति राशि देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पीड़िता की पहचान को गोपनीय रखने का निर्देश भी दिया है।