शीतलहर: उठो बेटा स्कूल जाना है...मम्मी प्लीज थोड़ा सोने दो न, उत्तर से आ रही ठंडी हवाएं
कड़ाके की सर्दी के चलते घरों में आम दिनचार्या बदल सी गई है। देरी से नींद खुल रही है। स्कूली बच्चों को जगाने मां को भारी मशक्कत करनी पड़ रही। रात में सर्द हवाएं चल रही है। न्यूनतम तापमान 14.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। ठंड का प्रकोप बढ़ने के साथ ही सूर्यदेव के दर्शन में भी देरी हो रही है।
By Dhirendra Kumar Sinha
Publish Date: Mon, 25 Nov 2024 09:50:07 AM (IST)
Updated Date: Mon, 25 Nov 2024 09:50:07 AM (IST)
ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल जाने को मजबूर मासूम (प्रतीकात्मक चित्र ) HighLights
- ठंड ने बदली दिनचर्या, सुबह देरी से खुल रही नींद।
- अब रात में चल रही सर्द हवाएं, तापमान 14.4 डिग्री।
- बंगाल की खाड़ी से आ हवाओं से ठंड में वृद्धि हुई है।
नईदुनिया प्रतिनिधि,बिलासपुर। न्यायधानी में सुबह-सुबह शहर को ठंडी हवाओं और हल्के कोहरे ने अपनी चादर में लपेट लिया है। लोगों को सूर्य की पहली किरणें देखने के लिए अब देर तक इंतजार करना पड़ रहा है। सुबह के वक्त रजाई छोड़ना किसी चुनौती से कम नहीं लगता।
सूरज की गर्माहट भी दिन चढ़ने पर ही महसूस हो रही है। रविवार को न्यूनतम तापमान 14.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2.3 डिग्री कम है। शीतलहर जैसी स्थिति ने न केवल जनजीवन को धीमा कर दिया है, बल्कि आम दिनचर्या से लेकर खान-पान और बाजारों तक सब कुछ बदल दिया है।
सुबह ठंडी हवाओं के कारण लोग घरों में दुबके रहने को मजबूर हैं। खेल मैदानों में अब सूरज उगने के बाद ही गतिविधियां शुरू हो रही हैं। लोग देर तक रजाई में रहते हैं। रूम हीटर और अलाव ठंड से बचाव का प्रमुख साधन बन गए हैं।
ठंड के चलते बदल रही आदतें
सर्दी के असर ने रसोई के रुझान को भी बदल दिया है। अब घरों में गर्म तासीर वाले भोजन को प्राथमिकता दी जा रही है। दाल-चावल के साथ-साथ अदरक वाली चाय, सूप और मेथी, सरसों जैसी सब्जियां लोगों के मेन्यू में शामिल हो गई हैं। फ्रीज में रखे ठंडे पानी और खाद्य पदार्थों से लोग बच रहे हैं। आइसक्रीम, दही और छाछ का सेवन लगभग बंद हो चुका है।
शहर में गर्म कपड़ों की मांग बढ़ी
बाजारों में गर्म कपड़ों की रौनक देखते ही बन रही है। स्वेटर, जैकेट, मफलर, शाल और दस्ताने खरीदने के लिए दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है। कपड़ा विक्रेता आर वाधुमल के अनुसार ठंड के बढ़ते प्रकोप के कारण ऊनी कपड़ों की बिक्री में तेजी आई है। शनिचरी, तेलीपारा, पुराना बस स्टैंड, बुधवारी और सरकंडा क्षेत्र के दुकानों में देर रात तक ग्राहकी बनी रहती है।
स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रभाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञ ठंड में बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनने, गर्म पानी पीने और ठंड से बचाव के उपाय अपनाने की सलाह दे रहे हैं। सुबह की हल्की धूप में बैठना और गर्म तरल पदार्थों का सेवन करने से सर्दी से बचा जा सकता है। इधर लोग सर्द हवाओं के कारण लोग घरों में जल्दी लौट रहे हैं। अलाव जलाकर ठंड से राहत पाने की कोशिशें हो रही हैं। सार्वजनिक स्थानों पर भी अलाव की व्यवस्था देखी जा रही है।
उत्तर से आ रही ठंडी हवाएं
मौसम विज्ञानी डा.एचपी चंद्रा के मुताबिक उत्तर से आने वाली ठंडी और शुष्क हवाओं का आगमन लगातार जारी है। वातावरण के मध्य स्तर में नमी का आगमन प्रारंभ हो रहा है, जिसके कारण न्यूनतम तापमान में विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। प्रदेश में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। 26 नवंबर से दक्षिण छत्तीसगढ में न्यूनतम तापमान में वृद्धि हो सकती है। पिछले 24 घंटे में न्यूनतम तापमान में बहुत हल्की वृद्धि हुई है।
पांच दिनों में न्यूनतम तापमान
24 नवंबर 14.4
23 नवंबर 13.2
22 नवंबर 13.6
21 नवंबर 14.6
20 नवंबर 14.4
शहर में गुलाबी ठंड ने दी दस्तक, निकल गए स्वेटर और रजाई, सुबह मार्निंग वाक पर निकल रहे लोग
शहर में गुलाब ठंड ने दस्तक दे दी है। सुबह और रात के समय ठंड लगने लगी है। मौसम का पार लुढ़कने से लोगों को ठंड का एहसास होने लगा है। ठंड बढ़ते ही अब लोग गर्म कपड़े बाहर निकालने को मजबूर दिख रहे हैं।
बंगाल की खाड़ी से आ रही नम हवाओं के कारण ठंड में वृद्धि हुई है। ठंड के बढ़ते ही लोग स्वेटर और रजाई बाहर निकालने को मजबूर हो गए हैं, वहीं सुबह की पहल किरण के साथ लोग मार्निंग वाक पर निकलने लगे हैं। शहर के मुख्य मार्ग में अलसुबह से ही मार्निंग वाक पर निकले लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है, वहीं अब रात में पंखा, कूलर या एसी चलाने की जरूरत तो महसूस होती ही नहीं है, लोगों को ऊलेन चादर या कंबल तानकर सोना पड़ रहा है। ठंडे पानी से लोग परहेज करने लगे हैं, जबकि गर्म भोजन ही अच्छा लगने लगा है, वहीं ठंडा पानी पीना या ठंडे पानी से नहाने से लोग कतराने लगे हैं।
वे इसके लिए भी गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल शुरू कर दिए हैं। अब लोगों को तीखी लगने वाली धूप भी प्यारी लगने लगी है। सुबह-शाम लोग शरीर पर स्वेटर, कार्डिगन और चादर ढकने के लिए विवश हो रहे है। वहीं दिन में धूप के सेवन से लोग चूक नहीं रहे हैं।सूती की जगह टंग गए ऊनी कपड़ेकल तक बाजार के जिस दुकान में सूती के कपड़े को शो में लगाये जाते थे या काउंटर में गर्मी के हल्के-फुल्के कपड़ों का स्टाक रखा जा रहा था, उसकी सूरत भी बिल्कुल बदल गई है। सूती कपड़ों की जगह ऊनी कपड़ों ने ले ली है।
अलग-अलग ब्रांडों के ऊलेन स्वेटर, कार्डिगन, मफलर, स्कार्फ, कोट व शॉल लोगों को लुभाने लगे हैं। इसके अलावा दुकानदारों ने इनर-वियर का भी स्टाक करना शुरू कर दिया है। बाजार के खाली जगहों पर रूई धुनने की मधुर आवाज भी आने लगी है जो ठंड के लिए रजाई बनने के संकेत दे रहे हैं।
जूते-मोजे की दुकानों पर भी लोग पहुंचने लगे हैं। शहर के एक दुकानदार ने बताया कि ठंड को देखते हुए नये डिजायनों में स्वेटर, कोट, बंडी, कंबल व शाल का पर्याप्त स्टाक किया गया है, लोग आने भी लगे हैं। दर्जी के यहां भी कोट बनवाने वालों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है।
शीतल पदार्थो से दूरी
अब कोल्ड्रिंक, आइस्क्रीम, लस्सी, दही या फ्रिज में रखकर बेची जाने वाले खाद्य पदार्थों से लोग दूर होने लगे हैं. कहते हैं कि ठंड में ऐसे चीजों का उपयोग स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं। सर्दी-खांसी के अलावे कोल्ड एटैक का खतरा बन जाता है।
इन चीजों की जगह
अब चाय, काफी और गर्म दूध ने ले ली है बाजार में चाय की दुकानों पर भी दिनभर भीड़ लगनी शुरू हो गई है हालांकि नान वेजिटेरियन के टेस्ट को देखते हुए बाजार में जगह-जगह अंडे के काउंटर खुल गए हैं। जहां ब्वॉयल, आमलेट, पोच, भुर्जी, टोस्ट बिकने लगे हैं। इसी तरह रेस्टोरेंट में भी मटन, चिकन, अंडा के वेरायटी की लिस्ट लग गई है।
शहर के एक अंडा व्यवसायी ने बताया कि वैसे तो वे सालों भी अंडे के आयटम का ठेला लगाते हैं, लेकिन ठंड के दस्तक देते ही बिक्री में इजाफा होना शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि आधे नवंबर के बाद से ही रोजाना 20 से 25 कार्टून अंडा बिकना शुरू हो गया है।
अब देर से आती और जल्द चली जाती है ठंड पहले बच्चों को पढ़ाया जाता था कि साल में चार ऋतुएं होती है। गर्मी, जाड़ा, बसंत और बरसात। प्रत्येक ऋतु की अवधि तीन-तीन माह की बतायी जाती थी, लेकिन बीते डेढ़-दो दशक से ऋतुओं के आने और जाने में बड़ा बदलाव हो गया है।
एक तो इसकी अवधि तीन माह की नहीं रही, दूसरी ठंड की अवधि लगातार सिमटती जा रही है। पर्यावरण असंतुलित होने के कारण गर्मी की अवधि में लगातार विस्तार होता जा रहा है और ठंड की अवधि घटती जा रही है। पहले अक्टूबर माह से ही ठंड का आगमन हो जाता था।
स्वेटर, रजाई-कंबल निकल जाते थे, लेकिन अब आधे नवंबर के बाद ठंड का एहसास ही शुरू होता है। अब ठंड मुश्किल से एक से डेढ़ महीने का रहने लगा है। शीतलहर की अवधि भी बमुश्किल 10 से 12 दिनों की होने लगी है। यह सिर्फ भारत की ही नहीं, वैश्विक चिंता का विषय है।