बिलासपुर। छह साल बाद शहर का बहुप्रतीक्षित मास्टर प्लान गुरुवार को जारी हो गया है। राज्य शासन ने बिलासपुर विकास योजना पुनर्विलोकित प्रारूप का गजट में प्रकाशन कर दिया है। संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने जरूरी बदलाव भी किया है। इसके तहत एफएआर(फ्लोर एरिया रेशो) को बढ़ा दिया है। इससे अब दस मंजिल तक भवन बनाने की छूट मिल गई है। योजना में शहर का दायरा और बढ़ा दिया गया है। 31 नए गांव को शामिल किया गया है। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के दायरे में अब 93 गांव आ गए हैं। खास बात ये कि 14 सड़कों को कमर्शियल घोषित किया गया है। शहर व इससे लगे ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों को भी इसमें शामिल किया गया है।
संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा छह नवंबर 2015 को बिलासपुर विकास योजना वर्ष 2031 के तहत 93 गांवों की सूची प्रकाशित की थी । जिन्हें नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था। सूची के प्रकाशन के बाद दो हजार 356 लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। बिल्डर व कॉलोनाइजरों की ओर से दर्ज कराई गई आपत्ति में एफएआर को लेकर सबसे ज्यादा विरोध था। कॉलोनाइजरों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में जिस तरह एफएआर में कमी और शहर के बाहरी इलाकों में एफएआर को बढ़ाया गया है इससे साफ है कि शहर का विकास कराने के बजाय शहर से बाहर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है।
शिकायतों के निराकरण के बाद राज्य शासन ने नए मास्टर प्लान को राजपत्र में प्रकाशित कर दिया है। निर्माण कार्यों के लिए वर्तमान में लागू एफएआर(फ्लोर एरिया रेशो) बढ़ा दिया गया है। इसका मतलब साफ है कि निर्माण कार्यों के लिए भूस्वामी अधिक जमीन का उपयोग कर सकेंगे। इसके अलावा 31 नए गांवों को इसमें शामिल किया गया है। पुराने प्रचलित मास्टर प्लान के अंतर्गत 62 गांव आते हैं, जहां की जमीन कृषि घोषित थी। नए मास्टर प्लान में 31 और गांवों को शामिल किया गया। जाहिर कि विकास का दायरा अब और बढ़ेगा। 14 सड़कों को कमर्शियल घोषित किया गया है। यातायात तथा आवागमन की दृष्टि से मास्टर प्लान में तीन बाइपास रोड प्रस्तावित हैं। कोनी से पेंड्रीडीह और पेंड्रीडीह से लालखदान, मुंगेली रोड जैन इंटरनेशनल से रायपुर रोड तथा रायपुर रोड से लालखदान एवं सेंदरी से चिल्हाटी को बाइपास रोड बनाया गया है। दो फ्लाई ओवर ब्रिज तथा अरपा पर तीन स्थानों पर पुलों का निर्माण भी प्रस्तावित है।
गोलबाजार की सड़क होगी वन वे
नए मास्टर प्लान में गोलबाजार जैसी संकरी सड़क पर वन वे ट्रैफिक, मल्टीलेवल तथा स्टील्ट पार्किंग, इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू करने का प्रावधान।
दाधापारा रेलवे स्टेशन के निकट विशेषीकृत वाणिज्यिक इकाई का विकास करना एवं उसको वर्तमान ट्रांसपोर्ट नगर तथा उद्योग विहार के साथ जोड़ने की योजना बनाई गई है।
सकरी, बोदरी, मोपका एवं चिल्हाटी के भावी विकास को ध्यान में रखकर इन स्थानों पर नगर स्तरीय वाणिज्यिक केंद्रों का प्रस्ताव रखा गया है।
ये सड़कें होंगी कमर्शियल
मंगला रोड,सीपत रोड,रायपुर रोड,शिवरीनारायण रोड,टेलीफोन एक्सचेंज रोड,लिंक रोड,श्रीकांत वर्मा मार्ग,व्यापार विहार रोड,रिंग रोड क्रमांक दो,मंगला बस्ती जाने वाली सड़क,उसलापुर रोड व कोनी रोड ।
नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में प्लान हुआ चस्पा
राजपत्र में प्रकाशन के बाद नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने विकास योजना के संबंध में जरूरी दस्तावेजों को चस्पा कर दिया है। किस जमीन का क्या उपयोग है इस संबंध में अलग-अलग रंगों के जरिए स्पष्ट किया गया है। पीला रंग आवासीय, आसमानी वाणिज्यिक उपयोग, बैंगनी औद्योगिक, काला रंग को शमशान और कब्रिस्तान को बताने के लिए उपयोग किया गया है। इसी तरह अन्य कार्य को भी नक्शे में विभिन्न रंगों के जरिए समझाया गया है।
निवेश क्षेत्र में आने वाले गांव
काठाकोनी, बिनौरी, पेंडारी, परसदा, जोंकी, निरतू, सेंदरी, कछार, रमतला, सेमरताल, बैमा, हरदीडीह, उरतुम, लगरा, खैरा, फरहदा, दो मुहानी, कर्रा, लिमतरा, दर्रीघाट, लावर, पोढ़ी, मगरउछला, बोहारडीह, लिमतरी, नरगौड़ी, कडार, सेवार, भटगांव, परसदा, मुढ़ीपार, रहंगी, खम्हारडीह, हरदी, पेंड्रीडीह, बोडसरा, अमसेना, बेलमुंडी, कोपरा, बहतराई, दबेना और काठाकोनी शामिल किए गए हैं।
पहली बार 1973 में बना निवेश क्षेत्र
बिलासपुर का निवेश क्षेत्र सबसे पहले1973 में बनाने की पहल हुई। तब इसमें 23 गांव जोड़े गए थे। इसका भूमि उपयोग का मास्टर प्लान 1976 में जारी हुआ। इसके बाद 1995 में फिर 8 गांव जोड़ते हुए कुल 31 गांव के साथ नया भूमि उपयोग की सूची जारी हुई। इसे 1996 में अधिसूचित किया गया। 1 सितंबर 2001 को जारी भूमि उपयोग की अधिसूचना वर्तमान में प्रभावशील है।
मास्टर प्लान में देरी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर
शहर का नया मास्टर प्लान जारी करने में हो रही देरी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि बिलासपुर के पुराने मास्टर प्लान की अवधि 2011 में पूरी होने के छह साल बाद भी नया मास्टर प्लान जारी नहीं किया जा सका है। नया मास्टर प्लान बनाने की प्रक्रिया 2014 में शुरू हुई, इसमें 93 गांवों को शामिल किया गया है। 2031 तक आबादी का अनुमान 15 लाख का मानते हुए डेवलपमेंट पर खर्च का आंकलन 2540 करोड़ रुपए निर्धारित किया। सरकार ने नौ नवंबर 2016 में मास्टर प्लान को अनुमोदित कर नौ दिसंबर 2016 को गजट में प्रकाशित किया था। वहीं 36 प्रकरणों की मई 2017 में दोबारा सुनवाई भी पूरी कर ली गई, इसके बाद भी मास्टर प्लान को लागू नहीं किया जा रहा है।
अब शहर का तेजी के साथ होगा विकास
आर्किटेक्ट श्याम शुक्ला ने कहा कि रायपुर की तर्ज पर शहर व आसपास के गांवों के विकास के लिए राज्य शासन ने मास्टर प्लान जारी कर दिया है। इसमें 31 नए गांवों को शामिल किया गया है। शहरी क्षेत्र से गांव को जोड़ने से पार्किंग सहित अन्य समस्याओं का समाधान होगा । शहर व इससे लगे गांव की 14 सड़कों को कमर्शियल घोषित किया गया है। एफएआर की सीमा में बढ़ोतरी करने से अब 10 मंजिला तक भवन बनाने की छूट मिल गई है। आक्सीजोन के लिए अलग से क्षेत्र का निर्धारण किया गया है। औद्योगिक क्षेत्र का समुचित विकास की योजना बनाई गई है। सभी क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए विकास योजना को लागू किया गया है।
इनका कहना है
मास्टर प्लान का गजट में प्रकाशन कर दिया गया है। राज्य शासन के निर्देशानुसार कार्यालय में प्रमुख प्रस्तावों को चस्पा किया गया है। नए विकास योजना के तहत अब कार्यों को अंजाम दिया जाएगा। नए मास्टर प्लान में 31 नए गांवों को शामिल किया गया है। अब कुल 93 गांव इसमें शामिल कर लिए गए हैं - संदीप बांगड़े, संयुक्त संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग