बिलासपुर । हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह पर आय से अधिक संपत्ति मामले में दर्ज प्राथमिकी पर अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील महेश जेठमलानी ने मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्र मेनन व न्यायाधीश पीपी साहू की डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव के खिलाफ राज्य शासन द्वारा दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई की जा रही है।
राज्य की सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहले सरकार ने पूर्व प्रमुख सचिव के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। इससे साफ जाहिर है कि सत्ताधारी दल की मंशा ठीक नहीं है। वे याचिकाकर्ता से व्यक्तिगत दुर्भावना रखते हैं। इससे जांच की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने एफआइआर रद करने के निर्देश देने से इन्कार कर दिया।
यह है मामला
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में राज्य शासन ने प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण इकाई (ईओडब्ल्यू) जांच शुरू कराई। दोनों ही जांच एजेंसियां एफआइआर दर्ज कर जांच- पड़ताल कर रही है।
अमन सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर शासन की जांच एजेंसियों की कार्रवाई को चुनौती दी है। इसी बीच उनकी पत्नी यास्मीन सिंह की संविदा नियुक्ति को लेकर राज्य शासन के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई।
इसी आधार पर यास्मीन सिंह के खिलाफ भी मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। यास्मीन सिंह ने भी अपने खिलाफ चल रहे मामले को खत्म करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट में जारी प्रकरण के बीच पूर्व प्रमुख सचिव सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
स्पीड ब्रेकर हटाने की मांग को लेकर फैसला सुरक्षित
इंडियन रोड कांग्रेस के मापदंडों का उल्लंघन कर प्रदेश की सड़कों पर बनाए गए स्पीड ब्रेकरों को हटाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।
मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता ने स्टेट व नेशनल हाईवे की सड़कों पर बिना मापदंड बनाए गए स्पीड ब्रेकर के कारण आए दिन हो रही दुर्घटनाओं का जिक्र करते हुए इसे हटाने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में पीडब्ल्यूडी और नेशनल हाईवे के अफसरों द्वारा बिना मापदंड ब्रेकर बनाने की शिकायत भी की थी। लापरवाहीपूर्वक बनाए गए ब्रेकरों के कारण हो रही दुर्घटनाओं का हवाला भी दिया है। प्रदेश की प्रमुख सड़कों का भी जिक्र किया है। याचिकाकर्ता द्वारा पेश शपथ पत्र और शासन की ओर से जवाब देने के बाद जनहित याचिका में फैसला सुरक्षित रख लिया है।