ATR Chhattisgarh: अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल में बाघ या अन्य वन्य प्राणियों की संख्या कितनी है, इसका ट्रैप कैमरे के जरिए पता लगाया जाएगा। यहां माहांत तक वन्य प्राणी गणना शुरू होगी। इसके लिए कैमरे एकत्र करने के साथ उसकी जांच, बैटरी बदलने जैसे प्रमुख कार्यों की शुरूआत प्रबंधन ने अभी से कर दी है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व में वन्य प्राणी गणना का प्राविधान है। गणना दो तरीके से होती है। एक चार साल में एक बार होती है, जिसे मुख्य गणना कही जाती है। वहीं फोर फेस मानिटरिंग साल में दो बार होती है। यह टाइगर रिजर्व की नियमित प्रक्रिया है। इसे लेकर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से निर्देश है। दो बार होने वाली यह गणना गर्मी के सीजन में होती है और दूसरी ठंड के समय की जाती है।
गणना के दौरान पहले तीन दिन ट्रैल लाइन पर बाघों के पंजों के निशान आदि देखे जाते हैं। इसके बाद ट्रांजिट लाइन में वन अमला चलकर गणना करता है। जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है, उसके बाद ट्रैप कैमरे से गणना की जाती है। यह बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। कोर जोन में जितनी जगहों पर जगह चिन्हित किए जाएंगे, वहीं कैमरे लगाए जाएंगे। एक चिन्हित जगह पर दो कैमरे लगाने का प्रविधान है। हालांकि अचानकमार टाइगर रिजर्व काफी बड़े दायरे में फैला हुआ है। इसलिए कैमरे से वन्य प्राणियों की गणना एक बार में नहीं हो पाती। इसके लिए 25-25 दिनों तक अलग-अलग जगहों में कैमरे लगाकर गणना की प्रक्रिया पूरी की जाती है।
वन्य प्राणियों की गणना के लिए जिन ट्रैप कैमरों का उपयोग होता है, वह बेहद खास होते हैं। इसके सामने जो भी गुजरता है कैमरा आटोमेटिक उनकी फोटो क्लिक कर लेते हैं और चिप में सेव हो जाता है। दो से दिन बाद वन अमला इन्हीं चिप को निकालकर कंप्यूटर में देखता है कि चिप में कितनी तस्वीर है और कौन-कौन से वन्य प्राणी कैमरे में आए हैं। इस प्रक्रिया के लिए सबसे जरूरी है कि कैमरा सही होना चाहिए।
इसलिए जब भी इसे लगाया जाएगा, उससे पहले ही कैमरों को अच्छी तरह से जांच की जाएगी। जिन कैमरो में थोड़ी बहुत खराबी होगी, उसे तत्काल सुधार भी लिया जाएगा। जिससे कैमरे के सामने से बाघ या अन्य वन्य प्राणी गुजरे तो उनकी फोटो स्पष्ट ढंग से कैद हो जाए।