आमाखोखरा बांध से 21 गांव का 1,991 हेक्टेयर रकबा होगा सिंचित, मुआवजा के लंबित प्रकरणों के निराकरण के साथ निर्माण कार्य शुरू
राज्य सरकार ने अतिरिक्त राशि 52 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। 10 प्रतिशत शेष भूमि अधिग्रहण के लिए जल संसाधन 8.40 करोड़ रुपये राजस्व विभाग में जमा करा दिया है। जिले 1.42 हेक्टेयर कृषि रकबा में अकेले 98 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है। बांगो जैसी बड़ी सिंचाई परियोजना के बाद भी स्थानीय लोगों के खेतों में पानी नहीं पहुंचता।
By Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Fri, 08 Nov 2024 12:22:37 PM (IST)
Updated Date: Fri, 08 Nov 2024 12:22:37 PM (IST)
आमाखोखरा जलाशय का निर्माणाधीन नहर, नईदुनिया HighLights
- 11 साल बाद फिर शुरू होगा काम, लागत हुई दोगुना ।
- 23.10 किमी बनेगा नहर, 52 करोड़ रुपये बढ़ी लागत ।
- 21 गांव के 7 हजार किसान सिंचाई सुविधा से होंगे लाभांवित।
नईदुनिया प्रतिनिधि कोरबा। आमाखोखरा में 11 साल पहले बना जलाशय का पानी अब तक खेतों में नहीं पहुंच सका है। मुआवजा वितरण विवाद और कोरोना काल की वजह से नहर निर्माण में देरी हुई। जिस नहर का निर्माण 52 करोड़ में पूरा होना था, उसकी लागत दोगुना यानी 104 करोड़ रुपये हो गई है। जल संसाधन विभाग ने फिर से बजट की मांग शासन से की थी। बढ़ी हुई लागत 52 करोड़ रुपये शासन ने स्वीकृत कर दी है। मुआवजा के लंबित प्रकरणों के निराकरण के साथ निर्माण कार्य शुरू होगा। 23.10 किलोमीटर नहर निर्माण का काम पूरा होने से 21 गांव के सात हजार किसान सिंचाई सुविधा से लाभांवित होंगे।
प्रक्रिया धीमी होने कारण काम लंबित होता चला गया
जलसंसाधन कटघोरा अनुविभाग ने 13 साल पहले वर्ष 2011 में आमाखोखरा गांव में जलाशय निर्माण के लिए काम शुरू किया। 2013 में अहिरन नदी पर 18. 50 करोड़ की लागत से बांध का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। जलाशय के लिए तो पर्याप्त जमीन मिल गई पर नहर के लिए निजी जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका। प्रक्रिया धीमी होने कारण काम लंबित होता चला गया। जमीन का मूल्य समय के बढ़ने के कारण नहर निर्माण का लागत भी बढ़ गया।
किसान सहयोग के लिए तैयार
निर्मित हो चुके बांध से केवल कटघोरा नहीं बल्कि पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के खेतों तक पानी पहुंचाना है। सिंचाई सुविधा बढ़ने की आस लेकर किसान सहयोग के लिए तैयार हैं, कुल खेती 46 फीसदी रकबा ही सिंचित है। अधिकांश किसान छोटे जलाशयों पर निर्भर हैं, लेकिन नहर विस्तार नहीं होने से सिंचित रकबा में बढ़ोतरी नहीं हो रही। अधूरे छोटे जलाशय का निर्माण और पूर्ण हो चुके जलाशयों के नहर का विस्तार किया जाए तो किसानाें को वर्षा आश्रित खेती से मुक्ति मिल सकती है।
आठ सहायक नहरों का भी होगा निर्माण
आमाखोखरा बांध से 21 गांवों में पानी पहुंचाने के लिए 23.10 किलोमीटर नहर बनाया जाना है। मुख्य नहर के दाएं व बाएं छोर में आठ शाखा नहर बनाने की योजना हैं, जिसकी लंबाई 9.93 किलोमीटर है। इन नहरों से पानी खेतों तक पहुंचने से किसानाें को न केवल खरीफ बल्कि रबी फसल में भी सुविधा होगी। नहर बनाने के लिए प्रति हेक्टेयर दो लाख 81 हजार रुपये खर्च आएगा।
नगर पंचायत में हो रही जलापूर्ति
इस जलाशय के पानी का उपयोग भले ही सिंचाई के लिए नहीं हो रहा हो लेकिन पेयजल आपूर्ति के काम आ रहा रहा है। नगर पंचायत कटघोरा के 13 हजार आबादी में जलापूर्ति करने पाइप लाइन बिछाया है। जलाशय निर्माण के समय नगर पंचायत ने जल संसाधन से जलापूर्ति का अनुबंध किया था। प्रति दिन 1.32 मिलियन घन मीटर पेयजल के रूप में प्रदाय किया जा रहा। जलाशय निर्माण का मुख्य उद्देश्य सिंचाई सुविधा देना है। पुन: राशि स्वीकृति होने से निर्माण पूरा होने की उम्मीद एक बार फिर बंध गई है।
इन गांवों तक पहुंचाना है पानी
आमाखोखरा डायर्वन से जिन गांवों तक पानी पहुंचना है उनमें जुराली, कसनिया, कापूबहरा, लखनपुर, विजयपुर, अभयपुर, सिंघाली, भेजीनारा, शुक्लाखार, रोहिना, पुरैना, मड़वाढोढ़ा, मोंगरा, कोरई, बांकी, अरदा, हर्राभांठा, जमनीमुड़ा, घनाकछार, जमनीमुड़ा, ढपढप, कसरेंगा, ढेलवाडीह शामिल है। सिंचाई के लिए चिन्हांकित गांवों में अधिकांश कालरी प्रभावित हैं जहां खदान के कारण वर्षा खेतों में अधिक समय नहीं ठहरता।
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