भिलाई। सेक्टर-9 अस्पताल परिसर में स्थित श्री हनुमान मंदिर आस्था और अध्यात्म का बड़ा केंद्र है। मान्यता है कि मंदिर में कामना मात्र से हर संकट दूर हो जाते हैं7 इस वजह से इसे संकटमोचन हनुमान जी भी कहा जाता है। यह मंदिर शहर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है और यहां हर मंगलवार व शनिवार को श्रद्घालुओं का तांता लगा रहता है। हनुमान जन्मोत्सव पर भंडार में 20 हजार से भी अधिक लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।
बताया जाता है कि भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना से पूर्व से ही मंदिर स्थित है। हनुमान जी की प्रतिमा यहां स्थित पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित है। पहले यह क्षेत्र आमदी गांव में आता था।
यह भी बताया जाता है आमदी गांव के मालगुजार माधव प्रसाद चंद्राकर तथा उनके पुत्र विष्णु प्रसाद चंद्राकर थे। श्री हनुमान जी के इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप सन 1965 से लेकर 1972 के मध्य श्रद्घालुओं द्वारा विस्तारित किया गया। इसके बाद कुछ और काम वर्तमान में यहां कराए गए। यहां पर शनिवार को विशेष पूजा और भंडारा का आयोजन किया गया है।
लोगों की आस्था जुड़ी है
भिलाई-दुर्ग के सबसे प्रसिद्घ मंदिरों में से एक इस हनुमान मंदिर में मन्नात मांगने लोग दूर-दूर से आते हैं। इसके अलावा सेक्टर-9 अस्पताल में भर्ती हर मरीज अथवा उनके परिवारजन मंदिर में माथा टेक दुखों को हरने की कामना करते हैं। लोगों की आस्था ही है कि सुबह से लेकर देर रात तक श्रद्वालु यहां पहुंचते रहते हैं। आम से लेकर खास हर वर्ग के लोग यहां पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।
प्रतिमा हटाने का किया गया था प्रयास
सेक्टर-9 अस्पताल निर्माण के दौरान पीपल के पेड़ के नीचे स्थित हनुमान जी की प्रतिमा को हटाने की भी योजना बनी थी। किवदंती है कि प्रतिमा एवं पेड़ को क्रेन से हटाने का प्रयास भी हुआ परन्तु प्रयास असफल रहा और हनुमान जी की प्रतिमा टस से मस नहीं हुई। बाद में अफसरों ने उक्त स्थान पर निर्माण की योजना रोक दी। आस्थावश इस मंदिर के पास ही ऑपरेशन थिएटर का निर्माण किया गया। इसके साथ ही मंदिर का भी निर्माण कराया।