नईदुनिया न्यूज, बेमेतरा। Bemetara Blast Update: बेमेतरा जिला के ग्राम पिरदा की बारूद फैक्ट्री में हुई हादसे की न्यायिक जांच बुधवार से शुरू हो रही है। इसमें सबसे अहम पहलू सुरक्षा मानकों को बताया जा रहा है। घटनास्थल तक पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि यहां रखे गए एसिड टैंकर में अब भी रिसाव हो रहा है। जिसके जरा भी शरीर पर गिरने से शरीर गल सकता है। वहीं, हादसे के चौथे दिन भी फैक्ट्री के बाहर ग्रामीण धरने पर बैठे हुए हैं।
इसी बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फैक्ट्री प्रबंधन ने पीड़ित स्वजनों को लेकर एक बैठक भी बुलाई थी। जिसमें हादसे में शिकार हुए पीड़ितों के स्वजन के समक्ष फैक्ट्री प्रबंधन ने घोषित राशि के बारे में जानकारी दी गई। जिसपर मृतक के स्वजन उक्त मुआवजे से संतुष्ट नहीं हुए और बैठक में नाराजगी जाहिर कर वापस लौट गए।
हालांकि इसके पहले भी ग्रामीण और मृतकों के स्वजन फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे हुए थे, लेकिन तेज धूप और कलेक्टर की अपील के बाद पहले के मुकाबले की इनकी संख्या कम रही। बाकी घटनास्थल पर मलबा निकालने का कार्य अंतिम चरण पर रहा, जिससे हालात अब सामान्य रहे।
जिला प्रशासन के द्वारा घोषित मजिस्ट्रेट की टीम मंगलवार को घटनास्थल पर पहुंची और जांच के लिए तैयारी करते हुए जांच के सभी बिंदुओं के आधार पर नोटिस जारी करने की तैयारी कर रही है। कलेक्टर बेमेतरा रणवीर शर्मा की मानें तो जांच के उपरांत ही कंपनी की खामियां या लापरवाही की बात सामने आ पाएगी। जिसके बाद ही कंपनी प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा सकेगी। दूसरी तरफ मजदूरों के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। बहरहाल तमाम हालातों के चलते प्रशासन एवं पुलिस सुरक्षा के लिहाज से फैक्ट्री के आसपास मौजूद हैं, ताकि किसी तरह के कोई अप्रिय हालत न बनने पाए।
बेमेतरा पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा ने स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड कंपनी के बोरसी प्लांट में हुए भीषण ब्लास्ट में अब तक एफआइआर दर्ज नहीं किए जाने के संबंध में जिला कलेक्टर बेमेतरा और पुलिस अधीक्षक बेमेतरा के नाम ज्ञापन दिया है। जिसमें उन्होंने मांग की है कि ब्लास्ट को हुए अब तक चार दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक इस मामले में कंपनी संचालक और संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं की गई है। जिससे साफ जाहिर होता है कि पूरे प्रकरण को शासन-प्रशासन दबाने की कोशिश कर रही है।
साथ ही साथ मानवता को तार-तार करते हुए अब तक शासन प्रशासन द्वारा घटना में शामिल मजदूर और कर्मचारियों की निश्चित जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की गई है, जबकि स्वजन पिछले तीन दिनों से भूखे प्यासे फैक्ट्री के सामने इस आस में बैठे हुए हैं कि गायब लोगों के बारे में शासन-प्रशासन द्वारा कोई जानकारी दी जाएगी कि वह जीवित है अथवा नहीं। जोकि अब तक किसी भी प्रकार से उन्हें जानकारी नहीं दी गई है।
हादसे के चार दिनों बाद भी एफआइआर नहीं होने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने इंटरनेट मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि घटना के 72 घंटे के बाद भी एफआइआर क्यों नहीं की गई? राजधानी से महज 22 किमी. दूर गांव में फैक्ट्री में धमाके से लोगों के शरीर के चीथड़े उड़ गए। प्रशासन को अब तक गायब लोगों की जानकारी नहीं मिल पाई है। दोषियों को किसका संरक्षण मिल रहा है। अब तक कितने मजदूर लापता है।
बघेल ने सवाल पूछा कि क्या प्रशासन ने फैक्ट्री प्रबंधन से पूछा है कि घटना वाले दिन कितने मजदूर काम पर गए थे? क्षमता से अधिक रखी विस्फोटक सामग्री को क्यों निकाला जा रहा है? जांच में विस्फोटक सामग्री की मात्रा क्या दर्ज की जाएगी? प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को जो मुआवज़ा देने की घोषणा की है उसे लेने से ग्रामीणों ने इंकार कर दिया है। क्या प्रशासन मुआवजा बढ़ाएगा?
इसी मामले पर कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह गंभीर घटना है। सरकार को गंभीरता से इसकी जांच करनी चाहिए, लेकिन अब तक यह गंभीरता दिखाई नहीं दे रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय घटना स्थल पर नहीं पहुंच पाए हैं। आखिरकार उन्हें पहुंचने में देरी क्यों हो रही है।