बालोद। जिले के गुंडरदेही नगर के हठरी बाजार स्थित चंडी मंदिर भाईचारे और कौमी एकता का प्रतीक बना हुआ है। जहां हिन्दू-मुस्लिम एक साथ पूजा करते हैं। यहां हिन्दू-मुस्लिम एवं कौमी एकता की मिसाल देखने को मिलती है। करीबन 100 सालों से चंडी मंदिर से मजार में पहला चादर चढ़ता हैं। साम्प्रदायिक सौहार्द एवं सद्भावना का माहौल रहता है। कई वर्षों से मुस्लिम समाज के लोग चंडी मंदिर की सेवा करते आ रहे हैं। यहां के लोग हर त्योहार बड़े उत्साह से मनाते हैं। यहां मंदिर से कुछ दूरी पर मजार स्थित है। जहां पर दोनों समुदाय के लोग एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं।
बता दें इस मंदिर में माता की मूर्ति के साथ-साथ मुस्लिम धर्म सैय्यद बाबा की चादर भी लगी हुई है, जिससे यहां के लोगों में भाईचारा और एकता स्पष्ट नजर आता है। बताया जाता है कि गुंडरदेही नगर के राम सागर तालाब से माता चंडी की मूर्ति के साथ-साथ सैय्यद बाबा की चादर भी मिली थी। करीबन 100 वर्षों से अधिक पहले जब यह मिला तब से यह यहां स्थापित है। यहां के राजा स्वर्गीय निहाल सिंह के पूर्वज इसे स्थापित किए थे और तब से यहां के लोग माता की पूजा भी करते हैं और इस चादर पर शीश नवाते हैं।
अमन शांति का प्रतीक बना चंडी का मंदिर
उल्लेखनीय है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने मुस्लिम धर्म के इस चादर को लेकर सोशल मीडिया में गलत जानकारी वायरल कर दिया हैं। जिसके बाद से यहां के लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि कई सालों से जब से वह यहां रह रहे हैं, उनके पूर्वजों से पहले से यह माता का मंदिर स्थापित है। जो राजा निहाल सिंह के पूर्वजों ने स्थापित किया था। साथ ही बाबा सैयद की चादर लगी हुई है, जिसको लेकर यहां काफी भाईचारा है।
बताया जाता है कि यह लोग अगरबत्ती भी जलाते हैं और लोभान भी। यहां दोनों धर्मों के अनुयायी एक-दूसरे के धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यहां के लोगों की मानें तो चंडी मंदिर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत प्रतीक है। अमन शांति का प्रतीक बना हुआ चंडी का मंदिर निश्चित तौर पर बेहद खास है।