अंबिकापुर । सरगुजा संभाग में बिजली करंट से जंगली हाथियों की मौत रोकने जमीनी स्तर पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लगातार होने वाली घटनाओं पर रोक लगाने के लिए वन विभाग व छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों ने साझा कार्ययोजना तैयार की थी। यह कार्ययोजना फाइलों में ही सिमट कर रह गई।
जंगली हाथियों के प्रबंधन के नाम पर सालाना बड़ा बजट कागजों में अधिक और प्रभावित क्षेत्र में कम खर्च हो रहा है। राजपुर वन परिक्षेत्र के नरसिंहपुर में बुधवार को जंगली हाथी को करंट लगाकर मार दिया गया इसके बाद भी न् तो वह विभाग और न् ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी,कर्मचारियों की नींद टूटी। लगभग आधा किलोमीटर दूर से हूकिंग कर गन्ना के खेत तक अवैध बिजली लाइन खींची गई थी।
गन्ना खेत में जीआइ तार लगाया गया था लेकिन वन व छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी,कर्मचारियों का इस ओर ध्यान ही नहीं गया। वन विभाग लगातार निगरानी का दावा करता है इसकी सच्चाई जंगली हाथी की करंट से हुई मौत के बाद सामने आ चुकी है। जबकि 28 जंगली हाथियों का दल इस क्षेत्र में पिछले आठ से दस दिन से विचरण कर रहा था उसके बाद भी जंगली हाथियों की मौत रोकने संभावित खतरों को न् भांप पाना वन विभाग की लापरवाही को उजागर करता है।
एक दौर में जब मुख्य वन संरक्षक के पद पर केके बिसेन पदस्थ थे उस समय उनके नेतृत्व में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी स्वयं मौके पर जाकर अवैध तरीके से खिंचे गए बिजली लाइन को हटाने के साथ ग्रामीणों को जागरूक करने में लगे रहते थे लेकिन यह सारी गतिविधियां अब बंद हो चुकी है। जंगली हाथियों के प्रबंधन के कार्य को मैदानी वन कर्मचारियों के भरोसे छोड़ दिया गया है। जिम्मेदार अधिकारी प्रभावित क्षेत्र में जंगली हाथियों की निगरानी तो दूर मैदानी कर्मचारियों की हौसला आफजाई के लिए भी नहीं जाते हैं।
करंट से मौत रोकने यह बनी थी कार्ययोजना
0 झूलते-लटकते बिजली तारों , जर्जर खंभों को बदलना था।
0 बिजली तारों की ऊंचाई बढ़ानी थी ताकि हाथी यदि सूड़ भी ऊपर उठाए तो वहां तक न पहुंच सके।
0 हाथी विचरण क्षेत्र में बिजली कनेक्शनों की जांच।
0 सिंचाई के नाम पर बिजली लाइन की वैधता और उसकी ऊंचाई की जांच।
0 हाथियों के आने-जाने वाले रास्ते में किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं।
0 हाथियों की उपस्थिति में आसपास के खेतों की जांच ताकि जीआइ तार या बिजली तार होने पर उसे हटाया जा सके।
कार्ययोजना पर नहीं हो सका अमल
बिजली करंट से जंगली हाथियों की मौत रोकने उच्चाधिकारियों के निर्देश पर लिए गए निर्णय और तैयार कार्ययोजना का पालन नहीं हो सका। इसके लिए अतिरिक्त फंड की मांग की गई। यह राशि नहीं मिल पाने के कारण आवश्यकता के अनुरूप काम भी नहीं हो सका। जशपुर जिले में बिजली लाइन को व्यवस्थित करने के अलावा हाथी प्रभावित दूसरे क्षेत्रों में बिजली करंट से हाथियों की मौत रोकने कोई काम नजर नहीं आता है। यही कारण है कि जंगली हाथियों की आज भी करंट से मौत हो रही है।
पांच वर्ष में 60 से अधिक हाथियों की मौत
सरगुजा वन वृत्त में ही पांच वर्ष में 60 से अधिक जंगली हाथियों की मौत हो गई। इनमें सर्वाधिक मौतें बिजली करंट से हुई है। प्रतापपुर क्षेत्र में तो बिजली का एलटी लाइन इतनी कम ऊंचाई से गुजरा था कि एक हाथी का सूड़ उसके संपर्क में आ गया था। इससे भी हाथी की मौत हुई थी। कीटनाशक के सेवन से भी हाथियों की मौत घटनाएं हो चुकी है। पूर्व के वर्षों में फसलों में अत्यधिक कीटनाशक के सेवन और जंगली हाथियों द्वारा उसका सेवन करने से भी हाथियों की मौत हो चुकी है। यह क्रम आज भी जारी है।
क्षेत्र में फिर आएगा जंगली हाथियों का यही दल
नरसिंहपुर में बिजली करंट से हाथी की मौत के बाद यह तय है कि जंगली हाथियों का समूह फिर यहां आएगा। वन संरक्षक वन्य प्राणी केआर बढ़ई का कहना है कि हाथी सामाजिक प्राणी होता है। जब भी ऐसी घटना होती है तो हाथियों का समूह फिर से उस क्षेत्र में आता ही है। एक तरह से वे भी शोक मनाते है। ऐसी स्थिति में हाथियों की ओर से नुकसान कम किया जाता है। किसी हाथी के बीमार होने, दल में नए सदस्य के आने की स्थिति में भी हाथियों का व्यवहार बदला नजर आता है।
वर्जन
जंगली हाथियों के विचरण क्षेत्र में सतत निगरानी के निर्देश है।अभयारण्य क्षेत्रों में बिजली लाइन का खतरा नहीं के बराबर है। मैदानी क्षेत्रों में हाथियों की उपस्थिति यदि है तो उनके विचरण क्षेत्रों में नजर रखने के साथ आवागमन को सुलभ बनाने लगातार लोगों को जागरूक किया जाता है। भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके लिए भी और सतर्कता बढाने, प्रभावित क्षेत्र में लगातार भ्रमण कर बिजली कनेक्शन, बिजली लाइन पर नजर रखने का प्रयास करना जरूरी है।
केआर बढ़ई
वन संरक्षक वन्य प्राणी
सरगुजा वनवृत्त