Starbucks CEO: कठिन दौर से गुजर स्टारबक्स ने लक्ष्मण नरसिम्हन को बनाया सीईओ, पढ़िए प्रोफाइल
Starbucks CEO Laxman Narasimhan: कंपनी को उसका पुराना गौरव एक बार फिर से हासिल हो सके, इसलिए नरसिम्हन को चुना गया है।
By Arvind Dubey
Edited By: Arvind Dubey
Publish Date: Fri, 02 Sep 2022 07:11:14 PM (IST)
Updated Date: Fri, 02 Sep 2022 07:11:14 PM (IST)
Starbucks CEO Laxman Narasimhan: काफी चेन चलाने वाली दुनिया की दिग्गज कंपनी स्टारबक्स ने भारतीय मूल के लक्ष्मण नरसिम्हन (Laxman Narasimhan) को नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है। वे एक अप्रैल 2023 को पदभार ग्रहण करेंगे। Laxman Narasimhan कंपनी में निदेशक मंडल का भी हिस्सा होंगे। इससे पहले नरसिम्हन ड्यूरेक्स कंडोम, एनफैमिल बेबी फार्मूला मिल्क और म्यूसिनेक्स कोल्ड सिरप बनाने वाली कंपनी रेकिट के सीईओ थे। अभी तक नरसिम्हन लंदन से काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें अपनी नई जिम्मेदारी के लिए सिएटल आना पड़ेगा। जब तक नरसिम्हन स्टारबक्स से नहीं जुड़ते हैं तब तक अंतरिम सीईओ हावर्ड शुल्त्स कंपनी का नेतृत्व करना जारी रखेंगे। स्टारबक्स कुछ समय से काफी कठिन दौर से गुजर रही है। पिछले एक साल में इसके 200 से अधिक अमेरिकी स्टोर में यूनियनबाजी हावी हो गई है। इसमें कर्मचारी बढ़ती महंगाई के समय बेहतर मजदूरी के लिए जोर दे रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी को उसका पुराना गौरव एक बार फिर से हासिल हो सके, इसलिए नरसिम्हन को चुना गया है।
Who is Laxman Narasimhan
पुणे यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक नरसिम्हन पहले भारतवंशी नहीं है जो किसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी में सर्वेसर्वा की भूमिका अदा करने जा रहे हैं। मौजूदा समय में सत्य नडेला माइक्रोसाफ्ट के सीईओ हैं। इसके अलावा एडोब सीईओ शांतनु नारायण, अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई और ट्विटर के प्रमुख पराग अग्रवाल अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में प्रमुख की भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले इंदिरा नूई 12 सालों तक पेप्सिको की सीईओ रहीं।
Business News: 2032 तक भारत होगा छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार
अगले 10 वर्षों यानी 2032 तक भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार बन जाएगा। स्विट्जरलैंड के स्विस रे इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज विस्तार और नियामकीय सुधारों से बीमा बाजार में मजबूती आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले एक दशक में भारत का बीमा प्रीमियम स्थानीय मुद्रा में औसत 14 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ेगा।