अनूप भार्गव. नईदुनिया ग्वालियर। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में 389 परियोजनाओं की स्वीकृति के साथ 300 इकाइयां स्थापित कर ग्वालियर मध्य प्रदेश में पहली पायदान पर है। खरगोन, नरसिंहपुर, बड़वानी जैसे छोटे शहर टाप-फाइव में जगह बनाने में सफल रहे हैं। जबकि भोपाल, इंदौर, जबलपुर टाप टेन में भी जगह नहीं बना पाए।
ग्वालियर के युवा आयल मिल, दूध प्रोडक्ट इकाई, रेडी टू ईट, राइस मिल उद्यम स्थापित कर 2500 से 3000 कुशल व अकुशल कामगारों को रोजगार उपलब्ध करा चुके हैं। केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की पीएमएफएमई योजना के तहत फूड सेक्टर में उद्यम स्थापित करने के लिए बैंक से 30 लाख रुपये तक का कर्ज लिया जा सकता है, इसमें उद्यमी को 35 प्रतिशत या अधिकतम दस लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि योजना खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र युवाओं को खुद का रोजगार बढ़ाने और उसमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से शुरू की गई है। विभाग ही इसमें अनुदान के साथ बैंक से ऋण उपलब्ध कराता है, जिससे छोटे उद्योग खोलने में लोगों को सहूलियत हो। जिला उद्यान अधिकारी महेश प्रताप सिंह बुंदेला ने बताया कि अब तक योजना के अंतर्गत बड़े शहर भोपाल, इंदौर और जबलपुर पिछड़े हुए हैं। इंदौर में 140, भोपाल में 153 और जबलपुर में 40 में परियोजनाओं की स्वीकृति हुई है, जबकि इन शहरों से बेहतर काम छोटे शहरों में हुआ है। खरगोन, नरसिंहपुर, बड़वानी टाप फाइव में शामिल हैं।
योजना के लिए आवेदन करने की आधिकारिक वेबसाइट श्चद्वद्घद्वद्ग.द्वश्रद्घश्चद्ब.द्दश्र1.द्बठ्ठ है। वित्तीय सहायता सीधे चयनित आवेदक के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी। इसका उपयोग गोदामों और प्रयोगशालाओं के निर्माण के लिए कर सकते हैं और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं। आवेदक को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में सूक्ष्म उद्यमी होना चाहिए। एक परिवार से केवल एक ही व्यक्ति वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र है। इस उद्देश्य के लिए परिवार में स्वयं, पति/पत्नी और बच्चे शामिल होंगे।
जिलों के नामचीन उत्पादों को बढ़ावा दे सकते हैं युवा योजना के तहत विभिन्न जिलों के नामचीन उत्पाद की इकाइयां युवाओं के सपनों को पूरा कर सकती हैं। जैसे बुराहनपुर में केले का उत्पादन ज्यादा होता है इसलिए यहां केले से संबंधित इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। रतलाम में अंगूर की खेती ज्यादा होती है इसलिए यहां इससे बनने वाले प्रोडेक्ट की इकाइयों को इस योजना के सहारे बढ़ावा दिया जा सकता है।
योजना के तहत विभिन्न जिलों के नामचीन उत्पाद की इकाइयां युवाओं के सपनों को पूरा कर सकती हैं। जैसे बुराहनपुर में केले का उत्पादन ज्यादा होता है इसलिए यहां केले से संबंधित इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। रतलाम में अंगूर की खेती ज्यादा होती है इसलिए यहां इससे बनने वाले प्रोडेक्ट की इकाइयों को इस योजना के सहारे बढ़ावा दिया जा सकता है।