बिजनेस डेस्क, नईदुनिया। पिछले दिनों स्टाक मार्केट डाउन आया था और फिर ऊपर आकर नए शीर्ष पर पहुंचा। खराब ग्लोबल संकेतों से कई बार बाजार नीचे जाता हैै। ऐसे निचले स्तर पर बाजार में खरीदी बढ़ जाती है और फिर बाजार उछाल मारता है।
इसका एक बढ़ा कारण है कि पहले भारतीय बाजार की निर्भरता एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) पर ज्यादा थी। बीते कुछ वर्षों में डीआईआई (घरेलू संस्थागत निवेशक) की भागीदारी बाजार में बढ़ी है।
दरअसल, अब बाजार में म्युचुअल फंड और सिप के जरिए भारतीय निवेशकों का योगदान बीते वर्षों के मुकाबले काफी बढ़ गया है। भारत की टोटल सिप बुक करीब 23,500 करोड़ प्रति माह तक पहुंच गई है।
शेयर, म्युचुअल फंड, सिप सभी मार्केट से कनेक्टेड रहते हैं। हालांकि, इनमें जोखिम घटकर अच्चे रिटर्न की संभावना बढ़ जाती है। शार्ट टर्म मार्केट मूवमेंट के लिहाज से फैसले लेने से बचें। म्युचुअल फंड या सिप से टैक्स प्लानिंग में भी मदद मिलती है। धैर्य रखकर इनमें बने रहें। - आशीष कीमती, कर सलाहकार
दरअसल, म्युचुअल फंड में अच्छे रिटर्न्स लोगों को इनकी ओर खींच रहे हैं। फंड हाउस भी लोगों से आने वाले निवेश को शेयर बाजार में ही निवेश करते हैं। ऐसे में आम लोगों का पैसा बाजार में आता है और बाजार का पूंजीकरण और मजबूती बढ़ रही है।
आने वाले समय में प्राफिट बुकिंग होती रहेगी। मगर, ऐसी आशंका नहीं है कि वर्ष 2008 या 2012 की तरह बाजार क्रैश हो जाए। निवेशक दीर्ष अवधि के लिए खरीदी करें, तो बेहतर हैं। निवेश का पोर्टफोलियो हमेशा डायवर्सिफाइड रखे।