बिजनेस डेस्क, इंदौर (Senior Citizen Savings Scheme)। नौकरीपेशा कर्मचारी हर माह अपने मूल वेतन में से कुछ राशि अपने प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) में जमा करते हैं और इतनी की राशि कंपनी की ओर से दी जाती है। EPFO की इस योजना को कर्मचारियों के लिए निवेश के लिए अच्छा विकल्प माना जाता है। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को इस फंड में जमा होने वाली राशि मिलती है। यह अमाउंट काफी ज्यादा होता है।
कई कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली इस राशि को निवेश करने के लिए प्लान करते हैं। यहां आपको एक ऐसी निवेश योजना बताने जा रहे हैं, जिसमें निवेश कर आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
इस निवेश योजना का नाम सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) है। यह रिटायरमेंट बेनेफिट प्रोग्राम है, जिसे सरकार ने खास तौर पर सीनियर सिटीजन के लिए लॉन्च की है। यह स्कीम के लिए बैंक अथवा पोस्ट ऑफिस (Post Office) में खाता खुलवा सकते हैं। इस स्कीम में निवेश के बाद हर माह आपको एक फिक्स अमाउंट मिलता है।
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) में एकमुश्त राशि निवेश की जाती है। इसका मैच्योरिटी पीरियड पांच साल का है। इसके बाद मैच्योरिटी पीरियड को और तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस योजना में निवेशक अधिकतम तीस लाख रुपये निवेश कर सकते हैं, जिस पर उन्हें सालाना 8.2 प्रतिशत ब्याज मिलता है। खास बात यह है कि SCSS में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक निवेश पर टैक्स में छूट का लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप और आपकी पत्नी दोनों इस निवेश योजना के पात्र हैं, तो आप ज्वाइंट अकाउंट भी खुलवा सकते हैं। ज्वाइंट अकाउंट में भी अधिकतम 30 लाख रुपये इन्वेस्ट कर सकते हैं। यदि आप अलग-अलग अकाउंट खुलवाते हैं, ताे अधिकतम 60 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकता है।
यदि आप 30 लाख रुपये निवेश करते हैं, तो इस पर आपको 8.2 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। इस हिसाब से आपको सालाना 2 लाख 46 हजार रुपये ब्याज मिलता है। यानी आप हर महीने 20 हजार 500 रुपये ब्याज हासिल कर सकते हैं। इसी ब्याज दर पर आपको पांच साल में आपको कुल 12,30,000 रुपये ब्याज मिल सकता है।
वैसे तो इस SCSS में लॉक इन पीरियड 5 साल का है, लेकिन आप इससे पहले पैसा निकलते हैं, तो इसके लिए आपको पेनल्टी चुकाना पड़ सकती है। जो इस बात पर निर्भर करती है, कि आपने कब खाता खुलवाया था।
खाता खुलवाने के एक साल के अंदर | निवेशक को कोई ब्याज नहीं मिलता |
एक साल बाद लेकिन दो साल से पहले | जमा राशि में से 1.5 प्रतिशत रकम काटी जाती है |
दो साल बाद लेकिन पांच साल से पहले | प्रिंसिपल अमाउंट से 1 प्रतिशत राशि काटी जाती है |