लोकेश सोलंकी, नईदुनिया इंदौर (Budget Effect on Share Market)। शेयर बाजार में कम निवेश से फटाफट और ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में आने वाले निवेशकों की राह आगे मुश्किल हो सकती है। शेयर बाजार में रिटेल निवेशक को अधिक जोखिम वाले माध्यमों से सचेत रखने के लिए भारी टैक्स लगाया जा सकता है।
फ्यूचर एंड आप्शन जैसे डेरिवेटिव कांट्रेक्ट बढ़ी हुई टैक्स दर के दायरे में आ सकते हैं। साथ ही दिन-प्रतिदिन की ट्रेडिंग करने वालों पर अंकुश लगाने के कदम उठाए जा सकते हैं। शेयर बाजार में निवेश करने का चलन छोटे शहरों-कस्बों में तेजी से बढ़ रहा है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं। बीते दिनों से सेबी से लेकर एनएसई तक इस बात को लेकर चिंता जता चुके हैं कि बिना जोखिम को समझे नए निवेशक शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं।
स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले कुल डीमेट खातों यानी लोगों की संख्या साढ़े नौ करोड़ तक पहुंच गई है। इनमें भी तमाम आम खुदरा निवेशक दिन-प्रतिदिन की खरीदी-बिक्री और फ्यूचर एंड ऑप्शन में पैसा लगा रहे हैं।
इसमें 90 प्रतिशत लोगों को नुकसान हो रहा है। बीते दिनों सेबी फ्यूचर एंड ऑप्शन में रिटेल निवेशकों की भागीदारी कम करने और जोखिम से सचेत करने के लिए एक कमेटी बनाकर उपाय सुझाने की बात कह चुका है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में लोग निवेश के लिए तेजी से शेयर बाजार का रुख कर रहे हैं। स्टॉक मार्केट में शेयर्स की तेजी से बढ़ती कीमतें उन्हें लुभा रही हैं। इसमें ज्यादातर लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं होता कि ज्यादा रिस्क से उन्हें नुकसान हो सकता है।