By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Sun, 11 Dec 2022 10:41:55 AM (IST)
Updated Date: Sun, 11 Dec 2022 10:41:55 AM (IST)
रायपुर। Surya Rashi Parivartan 2022: विवाह के लिए शुभ कारक माना जाने वाला सूर्य ग्रह 16 दिसंबर को धनु राशि मेें प्रवेश कर रहा है। सूर्य जब धनु राशि मेें प्रवेश करता है, तब उसकी ऊर्जा कम हो जाती है। इसे सूर्य का मलिन होना कहा जाता है। सूर्य जब तक मलिन अवस्था में होता है यानी धनु राशि में विद्यमान रहता है, तब तक शुभ संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता। सूर्य के धनु राशि में रहने के काल को खरमास कहते हैं। सूर्य जब 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसके बाद ही शुभ संस्कार किए जा सकेंगे।
आखिरी मुहूर्त 14 को
ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार गत चार नवंबर को देवउठनी एकादशी को चातुर्मास का समापन हुआ था। देवउठनी एकादशी से विवाह संस्कार शुरू होना था। लेकिन उस दौरान गुरु तारा अस्त होने के कारण शुभ विवाह नहीं हुए। 21 नवंबर को तारा उदित होने के पश्चात 26 नवंबर से विवाह मुहूर्त शुरू हुए थे। अब 14 दिसंबर को आखिरी शुभ मुहूर्त है। इसके बाद 16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास प्रारंभ हो जाएगा। इसके बाद सभी तरह के शुभ संस्कारों पर रोक लग जाएगी। एक माह तक विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ आदि संस्कारों पर रोक रहेगी।
धनु और मीन संक्रांति को मानते हैं अशुभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक साल में 12 संक्रांति आती है। सूर्य जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, उस काल को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य का जब धनु राशि में प्रवेश होता है, तब उसे धनु संक्रांति कहते हैं। जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तब उसे मीन संक्रांति कहा जाता है। इन दोनों राशि में सूर्य जब प्रवेश करता है, तब उसे अशुभ काल माना जाता है।
सूर्य के रथ में घोड़े की जगह गधे यानी खर
पं.मनोज शुक्ला के अनुसार शास्त्रीय मान्यता है कि सूर्य के रथ को सात घोड़े खींचते हैं। सूर्य का रथ निरंतर गतिमान रहता है, जिससे पूरे ब्रह्मांड में प्रकाश फैलता है। यह भी मान्यता है कि सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के दौरान घोड़ों को प्यास लगी। चूंकि रथ को रोका नहीं जा सकता, इसलिए घोड़ों की जगह गधों यानी खर को रथ खींचने के लिए लगाया गया। इससे रथ की गति मंद पड़ गई और सूर्य की ऊर्जा कम हो गई। इस मास को खरमास की संज्ञा दी गई। एक माह के इस काल को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना गया है। हजारों, लाखों साल से खरमास में शुभ कार्य नहीं करने की परंपरा चली आ रही है।
इन शुभ कार्यों पर रहेगी रोक
सगाई, विवाह नहीं करना, जमीन, मकान, संपत्ति नहीं खरीदना, नया व्यापार प्रारंभ नहीं करना, मुंडन, कर्णबेधन नहीं करना, धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना
मकर संक्रांति से शुभ कार्य
सूर्य जब एक माह बाद मकर संक्रांति में प्रवेश करेगा, जिसे मकर संक्रांति काल कहा जाता है। साथ ही इसे उत्तरायण का काल भी कहा जाता है। उत्तरायण काल में तिल, गुड़ का दान करने के बाद शुभ संस्कार किए जा सकेंगे।