Shani Margi 2022: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का देवता माना गया है। शनिदेव जातक को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। कहा जाता है कि अच्छे कर्म करने वालों को शनिदेव शुभ फल देते हैं वहीं गलत कार्य करने वालों को शनि दंडित करते हैं। फिलहाल शनिदेव मकर राशि में वक्री अवस्था में विराजमान है। शनि की वक्री अवस्था का अर्थ है कि वे उल्टी चाल चलने वाले हैं। शनि वक्री अवस्था में शनि की साढ़ेसाती और शनि ढैय्या से पीड़ित राशियों के लिए कष्टकारी माने गए हैं। शनि के वक्री होने से कुछ राशि वालों के जीवन में भर-भरकर खुशियां आएंगी। आइए जानते हैं कि वे राशियां कौनसी हैं।
शनि 23 अक्टूबर 2022 को मार्गी होंगे। इस दिन धनतेरस भी है। शनि के मार्गी होने से शनि की महादशा से पीड़ित राशियों पर शनि का अशुभ प्रभाव कम हो जाएगा। वर्तमान में शनि के मकर राशि में होने से धनु, कुंभ और मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। वहीं मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है। वक्री अवस्था में शनि ज्यादा कष्टकारी होते हैं। इस दौरान शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित राशियों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन शनि के मार्गी होने पर इन राशि वालों को राहत मिल सकती है।
शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए प्रतिदिन शनि चालीसा का पाठ करें।
शनिवार के दिन काले तिल, उड़द और काले वस्त्रों का दान करें।
शनिवार को पीपल के पेड़ के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
हनुमान जी की आराधना करें।
शनिवार को मंदिर जाकर शनिदेव के दर्शन करें।
शनिवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीपल को जल अर्पित करें। इसके साथ ही सात परिक्रमा करें। उसी दिन शाम को पीपल की जड़ में सरसो के तेल का दीपक जलाएं।
शनि से संबंधित बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए घोड़े की नाल से अंगूठी बनाकर अपनी मध्यमा अंगुली में शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय धारण करें।
काले तिल, आटा, शक्कर का मिश्रण बनाकर हर शनिवार को चींटियों को खिलाएं। इससे शनिदेव के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
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