झाबुआ-आलीराजपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। आदिवासी संस्कृति का मस्ती भरा पर्व भगोरिया 22 मार्च से आरंभ होकर 28 मार्च तक चलेगा। इस दौरान झाबुआ-आलीराजपुर जिले के 60 स्थानों पर मेले लगेंगे। कोरोना के कारण 9 माह तक साप्ताहिक हाट बाजार बंद रहने के बाद अब वापस अपने पुराने स्वरूप में आ गए हैं। भगोरिया मेला भी हाट बाजार वाले दिन ही लगता है, इसलिए अब कोरोना से यह पर्व अप्रभावित रहेगा। इस दौरान 7 दिनों तक क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर उल्लास छाया रहेगा।
क्यों मनाया जाताा है
प्राचीन काल से होली के 7 दिन पूर्व आने वाले हाट बाजारों में यह मेला लग रहा है। साहित्यकार गुमजी भाई सिंगोड़ का कहना है कि सीधे तौर पर इसका संबंध होली पर्व से है। रियासतकाल में होली की खुशियां मनाने के लिए राजा व प्रजा इन हाट बाजारों में एकत्रित होकर ही पर्व मनाते थे। शुरुआत में इन्हें गुलालिया हाट कहा जाता था, जो समय के साथ त्योहारिया हाट में बदले और फिर भगोरिया मेले का नामकरण हो गया। कहानी यह भी है कि माताजी के श्राप के कारण भगोर उजड़ गया था। जब वापस देवी को प्रसन्ना करने के बाद गांव बसा तो सभी ग्रामीणों ने मिलकर होली के पहले वहां खुशियां मनाई। बाद में यही परंपरा पर्व में बदल गई जो भगोर से शुरू हुई थी। इसलिए भगोरिया नाम पड़ गया।
क्या होता है भगोरिया मेले में
7 दिन तक अलग-अलग स्थानों पर हाट बाजार के साथ भगोरिया मेले लगते हैं। युवक व युवतियां श्रृृंगार करते हुए अपने तमाम वाद्ययंत्रों के साथ नाचते-गाते मेलों में पहुंचते हैं। अपनी जमीन से कमाने के लिए आदिवासी कितनी भी दूर क्यों न चला गया हो, लेकिन भगोरिया के लिए गांव में जरूर आता है। मेले में झूले, चकरी व तरह-तरह की खाद्य सामग्री रहती है।
एक नजर में
- 22 मार्च से आरंभ होगा भगोरिया
- 28 मार्च तक चलेगा
- 60 स्थानों पर लगेगा मेला
- 50 हजार से अधिक भीड़ हर मेले में
- 7 दिनों तक छाया रहेगा उल्लास
क्या बदलाव आए
सांस्कृतिक पर्व में मुख्य रूप से समय के साथ बदलाव यह है कि परिधान अब बदल गए हैं। युवक जींस व टी-शर्ट में ज्यादा नजर आते हैं। ग्रामीण भगोरिया का हिस्सा बनने की बजाय अब दर्शक बनना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि मेला स्थल पर नई पीढी को सार्वजनिक नृत्य करना नहीं भाता।
इस बार यह खास
पंचायत चुनाव बिलकुल सामने हैं। प्रतिद्वंद्विता भी जोरों पर है। राजनीतिक तौर पर ग्रामीणों से जुड़ने के लिए इस पर्व का उपयोग किया जाएगा। हर दावेदार अपनी सक्रियता दिखाते हुए समर्थकों के साथ मेलों में गेर निकालेगा। कोरोना के कारण लंबे समय से उत्सव नहीं मन रहे। हाट बाजार तक बंद थे। अब वापस अपने मूल स्वरूप पर आए हैं। ऐसे में इस बार कोरोना काल से उभरते हुए भगोरिया पर्व का उल्लास जोरों पर रहेगा।
कब, कहां लगेगा मेला
22 मार्च सोमवार - आलीराजपुर, भाबरा, पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, बडगुड़ा एवं मेड़वा।
23 मार्च मंगलवार - बखतगढ़, आम्बुआ, अंधारवड़, पिटोल, खरड़ू, थांदला, तारखेड़ी एवं बरवेट।
24 मार्च बुधवार - चांदपुर, बरझर, बोरी, उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोरायता, कल्याणपुरा, खट्टाली, मदरानी एवं ढेकल।
25 मार्च गुरुवार - फूलमाल, सोंडवा, जोबट, पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई एवं चैनपुरा।
26 मार्च शुक्रवार - कट्ठीवाड़ा, वालपुर, उदयगढ़, भगोर, बेकलड़ा, मांडली एवं कालदेवी।
27 मार्च शनिवार - मेघनगर, रानापुर, नानपुर, उमराली, बामनिया, झकनावदा एवं बलेड़ी।
28 मार्च रविवार - झाबुआ, छकतला, झीरण, ढोलियावाड़, रायपुरिया, काकनवानी, सोरवा, आमखूंट, कनवाड़ा एवं कुलवट।