जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग किशोरी को 24 सप्ताह के गर्भपात की इजाजत दे दी। न्यायमूर्ति नन्दिता दुबे की एकलपीठ ने पीड़िता का मेडिकल टीम द्वारा परीक्षण किए जाने के बाद यह अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि तीन दिनों के अंदर गर्भपात की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। जबलपुर के भेड़ाघाट थानांतर्गत निवासी पीड़िता के पिता की ओर से यह याचिका दायर की गई। अधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की नाबालिग पुत्री बलात्कार की एक दुर्भाग्यपूर्ण वारदात की शिकार हुई थी। इसके चलते वह गर्भवती हो गई। किशोरी मानसिक और शारीरिक रूप से गर्भ धारण करने और बच्चे को जन्म देने में सक्षम नहीं है। वह इसे जन्म देना भी नही चाहती। इसलिए गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट की शरण ली गई।
मेडिकल परीक्षण कराया गया: कोर्ट के आदेश पर आठ मई को पीड़ित किशोरी का मेडिकल परीक्षण कराया गया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के गायनोकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ गीता गुइन, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अर्चना सिंह व डॉ भारती साहू की टीम ने परीक्षण के उपरांत रिपोर्ट दी। इसमें बताया गया कि 12 मई को पीड़िता को 24 सप्ताह का गर्भ था। चिकित्सकों की देखरेख में उसका मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भपात कराया जा सकता है। मनोचिकित्सा विभाग के डॉ ओपी रायचंदानी ने भी अपना मत व्यक्त किया कि किशोरी बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती।
डीएनए जांच के लिए संरक्षित किया जाए: रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में किसी सरकारी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में गर्भपात कराया जाए। सारी प्रक्रिया 3 दिनों में पूरी कर ली जाए। पीड़िता को सभी आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान की जाएं। भ्रूण को डीएनए जांच के लिए संरक्षित किया जाए। इस निर्देश के साथ कोर्ट ने याचिका का पटाक्षेप कर दिया। सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रियंका मिश्रा उपस्थित हुईं।