Coronavirus Bhopal News : भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। दुनिया भर के चिकित्सा विज्ञानियों को इस बात की आशंका है कि कोरोना वायरस अपने जीन में तेजी से बदलाव तो नहीं कर रहा है, जिससे कुछ देशों में मौतें ज्यादा हो रही हैं। इसकी पड़ताल के लिए एम्स भोपाल में हाल ही में एक अध्ययन किया गया है। इसके लिए अमेरिका स्थित जीन बैंक से डाटा लिया गया है। अमेरिका, यूरोप के कुछ देश, चीन व भारत में मिले कोराना वायरस के जीन के पैटर्न में आए बदलाव का अध्ययन किया गया है। अध्ययन की रिपोर्ट फिलहाल गोपनीय रखी गई है। इसके प्रकाशित होने के बाद ही जानकारी सामने आएगी।
एम्स भोपाल के एक चिकित्सा विशेषज्ञ ने बताया कि अमेरिका स्थित जीन बैंक में कोरोना वायरस के 13 हजार जीन का डाटा जमा हो गया। सभी देश अपने यहां मिले वायरस की जीन सिक्वेंसिंग (वायरस में मिलने वाले लाखों तरह के जीन को पैटर्न में जमाना) का डाटा यहां जमा कर कर रहे हैं।
यहां से अलग-अलग देशों का डाटा लेकर इसका एनालिसिस किया गया है। इसे कंप्यूटेशनल बायोइंफॉरमेटिक्स एनालिसिस कहा जाता है। इसमें देखा जाता है कि वायरस की जेनेटिक सामग्री में कितना बदलाव आया है। इसमें बदलाव कर वायरस अपने को मजबूत कर लेता है, जिससे उसे खत्म करना मुश्किल हो जाता है। एम्स देश का दूसरा संस्थान है, जहां यह अध्ययन किया गया है। हैदराबाद के सेंट्रल फॉर सेलुलर एवं मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) में भी इसी तरह का अध्ययन किया जा रहा है।
इसलिए है वायरस में बदलाव की आशंका
कोरोना वायरस से संक्रमितों में मरने वालों का प्रतिशत कुछ देशों में बहुत ज्यादा तो कुछ में कम है। भारत में भी विदेशों से आए लोग संक्रमित मिले हैं। यहां कुछ मरीज 80 साल की उम्र में भी कोरोना को मात दे रहे हैं तो कुछ मामले में 30 से 40 साल के युवा भी नहीं बच पा रहे हैं। इससे आशंका लग रही है कि वायरस के जीन में काफी बदलाव (म्यूटेशन) हो सकता है।
इनका कहना है
वायरस के जेनेटिक मेटेरियल में कितना बदलाव आया है, यह जानने के लिए अध्ययन किया गया है। अध्ययन प्रकाशित होने के बाद ही इसके बारे में कुछ बताया जा सकेगा।
- प्रो. (डॉ.) सरमन सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल