Mali Crisis: पश्चिम अफ्रीकी देश माली में सेना ने तख्तापलट कर दिया है। इसके बाद वहां फंसे भारतीयों को लेकर केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। माली में भारत के राजदूत एके सहाय ने भारतीयों से अपील की है कि वे अभी अपने घरों से बाहर न निकलें और जैसे ही मौका मिले, स्वदेश लौट आएं। दूतावास माली में रह रहे सभी भारतीयों के सम्पर्क में है। बता दें, माली में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस्तीफे दे दिए हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। विद्रोह की शुरुआत मंगलवार शाम को हुई और रात तक सेना के विद्रोहियों ने राष्ट्रपति निवास और प्रधानमंत्री भवन को घेरकर राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता और प्रधानमंत्री बाउबो सिसे को बंधक बना लिया। इस दौरान राजधानी बामाको में विद्रोही सैनिको ने बड़े पैमाने पर फायरिंग भी की। लोगों ने सड़कों पर आगजनी भी की। सरकारी इमारतों को भी आग के हवाले कर दिया गया। पूरे देश में उथलपुथल की स्थिति है। कुछ लोग सेना के विद्रोह के साथ हैं तो कुछ इसकी खिलाफत कर रहे हैं।
खबर है कि सेना कट्टर आतंकवादियों के इशारों पर यह काम रही है। बीते दिनों से सेना में सरकार के खिलाफ विद्रोह की आवाज उठ रही थी। सरकारी टीवी बंद कर दिए गए हैं। वहीं अंतर्राष्टीय बिरादरी की प्रतिक्रियाएं भी आना शुरू हो गई हैं। अमेरिका और रूस ने कहा है कि उनकी माली के हालात पर नजर है। संयुक्त राष्ट्र और रूस बीते 7 साल से माली में राजनीतिक स्थिरता लाने की कोशिश कर रहे थे। माली के राष्ट्रपति को लोकतांत्रिक रूप से चुना गया था और उन्हें फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों से व्यापक समर्थन प्राप्त है। इससे पहले 2012 में भी यहां सैन्य तख्तापलट हुआ था।
ताजा तस्वीरों के मुताबिक, विद्रोही सैनिक हथियार लेकर सरेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं। आम नागरिकों को भी डराया धमकाया जा रहा है और उन्हें घर में ही रहने को कहा जा रहा है।
माली में राष्ट्रपति के खिलाफ इस साल मई में विद्रोह शुरू हुआ था। तब यहां की सर्वोच्च अदालत ने संसदीय चुनावों का नतीजा पलटते हुए इब्राहिम बाउबकर कीता को दोबारा राष्ट्रपति बना दिया था। वहीं प्रधानमंत्री ने अब भी वार्ता की पहल की है।