नवरात्रि का समय मां दुर्गा की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं मां दुर्गा को आदिशक्ति क्यों कहते है?
मां दुर्गा जिस भी भक्त के ऊपर प्रसन्न हो जाती है उसके सभी प्रकार के कष्टों का नाश कर देती है। मां दुर्गा अपने भक्तों को अज्ञानता और अंधकार के साये से दूर रखती है।
विन्ध्येश्वरी चालीसा में भी आदिशक्ति के रूप का वर्णन मिलता है। माता का यह रूप सभी दुखों को हरने वाला माना जाता है।
जब सभी देवताओं राक्षसों के अत्याचार से परेशान होकर ब्रह्मा जी के पास गए तो उन्होंने बताया कि दैत्यराज की मृत्यु किसी कुंवारी कन्या के हाथों होगी।
राक्षसों के अत्याचार से तंग आकर देवताओं ने अपनी सम्मिलित शक्तियों से मां के इस रूप को प्रकट किया था। माता के इस स्वरूप को आदि शक्ति का नाम दिया गया।
माता का यह रूप अथाह शक्तियों से भरा हुआ है। मां ने अपने इसी रूप में दैत्यराज का संहार किया था। मां के इस रूप को सृष्टि में आद्य शक्ति के नाम से भी जाना जाता है।
सृष्टि की उत्पत्ति, पालन-पोषण और संहार के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदि शक्ति की शक्तियों का उपयोग करते है। इसी बात से आप माता की शक्तियों का अंदाजा लगा सकते है।
मां दुर्गा के इस आदिशक्ति स्वरूप की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं और समस्याएं दूर होती है। समस्याओं के समाधान के लिए माता के इस रूप की पूजा की जाती हैं।