इसे उत्पत्तिका, प्राकट्य और वैतरणी एकादशी भी कहा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से पिछले जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
इस दिन चार शुभ योग अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, प्रीति योग और आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है। इससे एकादशी व्रत का दोगुना फल प्राप्त होगा।
उत्पन्ना एकादशी 19 नवम्बर की सुबह 10:29 बजे से शुरु होगा। 20 नवंबर को सुबह 06:50 से 21 नवंबर की सुबह 12:36 तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
इस व्रत का पारण 21 नवंबर को सुबह 06 बजकर 51 मिनट से सुबह 9 बजे तक किया जाएगा। प्रसाद में चढ़ाए भोग से पारण करने पर उत्तम फल प्राप्त होता है।