महाकाल की नगरी उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है, अगर आप महाकाल का आशीर्वाद लेने जा रहे हैं तो इन प्रसिद्ध मंदिरों के भी करें दर्शन।
मंदिर में भगवान गणेश तीन रूपों चिंतामण, इच्छामन और सिद्धिविनायक के रूप में विराजमान हैं। अपनी मनोकामनाओं के लिए यहां श्रद्धालु उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं।
काल भैरव को बाबा महाकाल का सेनापति कहा जाता है। काशी में जैसे बाबा विश्वनाथ के साथ काल भैरव के दर्शन जरूरी माने जाहे हैं, वैसे ही उज्जैन में महाकाल के साथ काल भैरव के दर्शन भी जरूरी हैं।
महाकाल मंदिर के पास स्थित हरसिद्धि माता का मंदिर शक्ति पीठ है, यहां माता सती की कोहनी गिरी थी। मंदिर के सामने बनी दो बड़ी दीपमालिकाएं भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
मंगलनाथ मंदिर में मंगल ग्रह के दोष निवारण के लिए भातपूजा की जाती है। इसे मंगल ग्रह का जन्म स्थान भी माना जाता है। यहां पृथ्वी माता का मंदिर भी है।
उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर राम घाट सबसे प्रसिद्ध स्थान है। सिंहस्थ के दौरान यहां शाही स्नान होता है। मान्यता है कि भगवान श्री राम ने यहां उनके पिता दशरथ जी का तर्पण किया था, इसी वजह से इसका नाम रा
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा ने अपनी शिक्षा उज्जैन में सांदीपनी ऋषि के आश्रम में प्राप्त की थी। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां विशेष आयोजन होता है।