उज्जैन के करीब चिंतामन गणेश का मंदिर है, यहां भगवान तीन रूपों चिंतामन, इच्छामन और सिद्धिविनायक रूप में विराजित हैं।
उज्जैन के मां गढ़कालिका को शक्तिपीठ माना जाता है। कवि कालिदास मां गढ़ कालिका के उपासक थे, उन्होंने श्यामला दंडक महाकाली स्तोत्र की रचाना की थी।
महाकाल मंदिर से हरसिद्धि मंदिर जाने वाले मार्ग पर विक्रमादित्य सिंहासन बत्तीसी का मंदिर है। जिसमें राजा विक्रमादित्य की 30 फीट ऊंची मूर्ति के साथ नवरत्न की मूर्तियां भी हैं।
उज्जैन में सांदीपनी आश्रम भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली है। माना जाता है कि यहीं उन्होंने 64 विधाओं और 16 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था।
उज्जैन मंगनाथ मंदिर को ही मंगल ग्रह का जन्म स्थान माना जाता हैं। यहां पृथ्वी माता का भी मंदिर है। यहां मंगल ग्रह की शांति के लिए भात पूजा की जाती है।
उज्जैन में राजा भर्तृहरि की गुफा प्रसिद्ध स्थल है, यहां दो गुफाएं है। कहा जाता है कि इनमें से एक गुफा का रास्ता चार धामों तक जाता है।
उज्जैन शहर कर्क रेखा पर स्थित है, राजा जयसिंह ने इसका निर्माण करवाया था, यह 300 से भी ज्यादा वर्ष पुरानी है। यहां कई यंत्र बनाए गए हैं।
उज्जैन में शिप्रा नदी का रामघाट सबसे प्रसिद्ध है, मान्यता है कि यहां भगवान श्रीराम ने उनके पिता दशरथ के मोक्ष के लिए पूजन किया था। सिंहस्थ में रामघाट पर स्नान का बड़ा महत्व है।