गांधारी के भाई और धृतराष्ट्र के पत्नी के भाई शकुनि महाभारत होने की सबसे बड़ी वजह थे। आइए जानते है कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में शकुनि को किसने मारा था?
शकुनि गांधार राज सुबल के पुत्र और गांधारी के छोटे भाई थे। वह धृतराष्ट्र से गांधारी के विवाह के सख्त खिलाफ थे। शकुनि के मुताबिक, धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे और वह नहीं चाहते थे कि उनकी सुंदर बहन का विवाह एक नेत्रहीन से हो।
गांधारी को 100 पुत्रों का वरदान थे। गांधारी शिव जी की बहुत बड़ी भक्त थी, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें 100 पुत्र और 1 पुत्री का वरदान दिया था।
शकुनि शुरू से ही विलक्षण बुद्धि का स्वामी था। वह हमेशा छल और कपट से ही हर लड़ाई जीतने की कोशिश करता था। शकुनि अपनी बहन गांधारी से बेहद प्रेम करता था।
कौरव और पांडवों के बीच द्वंद का विचार भी दुर्योधन को गांधार नरेश शकुनि ने ही दिया था। इस युद्ध में शकुनि ने दुर्योधन को अपने पासो से द्वंद खिलाया था। शकुनि के पासे उसी की बात माना करते थे।
महाभारत के युद्ध की सबसे बड़ी वजह शकुनि ही थे। द्वंद के दौरान, पांडवों से उनके सभी गर्व को दुर्योधन ने दांव पर लगवा दिया था। अंत में जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ तो यह पक्का था कि अब कौरव और पांडवों में युद्ध जरूर होगा।
शकुनि दिमाग से भले ही तेज रहे हो, परंतु वह एक कायर और कमजोर योद्धा थे। महाभारत की युद्धभूमि तक वो छिप-छिप के कमजोर सैनिकों पर वार करते रहे। लेकिन, युद्ध के 18वें दिन वह मारे गए।
शकुनि का वध पांडवों में सबसे छोटे सहदेव ने किया था। सहदेव ने युद्ध के 18वें दिन शकुनि को उसके जीवन के समस्त पापों के लिए मृत्यु दंड दिया था।