योगाभ्यास के ज्यादातर आसन सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। साथ ही हर कोई इन्हें अपनी क्षमता के मुताबिक कर सकता है। आइए जान लेते हैं कि योग में कितने प्राणायाम है और इसका क्या महत्व है।
भस्त्रिका प्राणायाम शरीर को गर्म रखने में मददगार होता है। पैर क्रॉस करके आसन की अवस्था ग्रहण करें और तेजी से सांस अंदर ले और बाहर छोड़े। इसे क्षमता मुताबिक कितने भी समय के लिए किया जा सकता है।
इस प्राणायाम से आंतरिक शांति का आभास होता है। इसमें समुद्र की लहरों की तरह सांसों की आवाज निकालनी होती है। इस प्राणायाम को लेकर कहा जाता है कि इसके जरिए सांसों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
कपालभाति प्राणायाम पेट के लिए फायदेमंद होता है। योग विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर बीमारियों की शुरुआत पेट से ही होती है। यह प्राणायाम लिवर को भी दुरुस्त करता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम में नाक से सांस लेना है और कुछ सेकेंड के लिए रुकना है। फिर धीरे से सांस को बाहर छोड़ देना है। इस प्राणायाम की मदद से दिमाग को शांति मिलती है।
इस प्राणायाम को भी महत्वपूर्ण प्राणायाम की लिस्ट में शामिल किया जाता है। इसमें अपने दोनों कानों को बंद करना होता है और नाक से सांस लेते हुए ऊं का उच्चारण किया जाता है।
इस प्राणायाम को ओमकारी जप भी कहा जाता है। उद्गीथ प्राणायाम एक काफी सरल आसन होता है, जिसे हर कोई आसानी से ध्यान की अवस्था में बैठकर कर सकता है।
प्राणायाम के कुछ अन्य भी प्रकार होते हैं, लेकिन उपरोक्त आसानों को आसानी से किया जा सकता है। साथ ही, इनकी मदद से फिटनेस का भी खास ध्यान रखा जा सकता है।