नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती हैं। इन दिनों में सबसे ज्यादा महत्व अष्टमी और नवमी का माना जाता है।
अष्टमी और नवमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इस बार 22 अक्टूबर को अष्टमी और 23 अक्टूबर को नवमी की तिथि है।
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, अष्टमी और नवमी के दिन विशेष पूजा सामग्री का प्रयोग करने से नवरात्रि की पूजा को सफल माना जाता है।
नवरात्रि के पहले दिन घर के मंदिर में नारियल को स्थापित किया जाता है। इस कलश को अष्टमी और नवमी के दिन पूजा में जरूर शामिल करें।
नवरात्रि की शुरुआत में जौ को बोना शुरू किया जाता है। अष्टमी और नवमी के दिन पूजा में इन जौ को जरूर शामिल करें। ऐसा करने के बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है।
अष्टमी और नवमी पूजा में माता को श्रृंगार का सामान जरूर अर्पित करें। इसमें लाल चुनरी का होना भी बेहद जरूरी माना जाता है।
दुर्गा पूजा से पहले घर के मुख्य द्वार पर अशोक के पत्तों की वंदनवार लगाएं। वास्तु के मुताबिक, ऐसा करना बेहद शुभ होता है।
पूजा में देवी दुर्गा का पताका या ध्वज जरूर शामिल करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में ध्वज का विशेष महत्व बताया गया है और इसी वजह से पूजा में इसे शामिल करना चाहिए।