आकाश मंडल एक पूर्ण गोल है। एक वृत में कुल 360 अंश होते हैं। यदि वृत को १२ बरावर भागों में बांटा जाय तो प्रत्येक भाग ३० अंश का होगा।
आकाश के 12 भाग एक-एक भाग को राशि कहते हैं। 12 राशियों में बटा आकाश मंडल प्रचीन आचार्यों ने आकाश मंडल के 12 भाग में कुछ विशिष्ट तारा समूहों का आकार एवं पृकति देखी थी।
आकार एवं पृकति को आधार मान इन समूहों का नाम दिया राशि यह 12 होते है मेष से मीन तक मेष राशि का विस्तार 0 से 30 अंश तक, वृष का विस्तार 30 से 60 अंश बारह राशियों का आकाश मंडल में विस्तार है।
आकाश मंडल के 360 अंशों को 27 बराबर भागों में बांटा जाय तो प्रत्येक भाग नक्षत्र कहलाता है। अतः एक नक्षत्र 13 अंश 20 कला के बराबरर होता है।
अश्विनी नक्षत्र का विस्तार 0 से 13 अंश 20 कला तक, भरणी 13 अंश 20 कला से 26 अंश 40 कला तक, इसी प्रकार कृतिकादि नक्षत्रों का विस्तार होता है।
शास्त्रों में नक्षत्रों की कुल संख्या 27 बताई गयी है। ज्योतिष शास्त्र का महत्वपूर्ण अंग नक्षत्र है। ज्योतिषीय लोग विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणियों के लिए नक्षत्र की अवधारणा का उपयोग करते हैं