हिन्दू धर्मग्रंथों में सूरज को जल चढ़ाना बड़े पुण्य का काम बताया गया है। माना जाता है कि इससे साधक को कई लाभ मिलते हैं।
मान्यता है कि प्रात:काल सूर्य को जल अर्पित करने से उम्र में वृद्धि होती है , तेज बढ़ता है और यश की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। जिसका सूर्य मजबूत हो, उसका शनि-राहु आदि मिलकर भी कुछ बिगाड़ नहीं सकते।
ऐसे में रोजाना सुबह सूर्य देव को जल देना चाहिए। लेकिन उन्हें जल अर्पित करने से पहले कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सूर्योदय के समय ही सूरज को जल चढ़ाएं। ये सबसे अच्छा मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य का तेज सीधा आपके मुख पर पड़ता है।
सूरज को हमेशा तांबे के बर्तन से ही जल चढ़ाएं। स्टील या दूसरी धातु का लोटा इसके लिए अच्छा नहीं माना जाता।
जल चढ़ाते वक्त मुख पूरब दिशा की तरफ रखें और तांबे के लोटे में अक्षत , फूल , रोली आदि भी डालें।
सूर्य को जल देते समय सूर्य मंत्र जैसे - 'ऊं आदित्य नम:।' या 'ऊं घृणि सूर्याय नमः।' मंत्र का जाप करें।
अगर कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो, तो सूर्य को निश्चित रूप से रोजाना जल चढ़ायें। आपकी परेशानियां फौरन कम होंगी।