उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर एक बेहद प्रसिद्ध और अहम हिंदू तीर्थ स्थान है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े चमत्कारी रहस्यों के बारे में।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से करीब साढ़े 3 हजार से अधिक मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चार धामों यात्रा पर जाने वाले यात्रियों के लिए केदारनाथ धाम बेहद अहम माना जाता है।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भारत में मौजूद सबसे ऊंचाई पर स्थित ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग मंदाकिनी नदी के किनारे चोराबाड़ी ग्लेशियर के पास स्थित है।
मान्यताओं के मुताबिक केदारनाथ मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य ने करवाया था। इस मंदिर का दर्शन काफी कठिनाई से हो पाता है।
एक रिसर्च के मुताबिक यह मंदिर करीब 400 सालों तक बर्फ के अंदर दबा रहा था। रिपोर्ट्स के अनुसार 13-14 वीं सदी के आसपास एक छोटा हिमयुग आया था उसमें यह मंदिर पूरी तरह से बर्फ में दब गया था।
2013 में आई बाढ़ में मंदिर के आसपास का इलाका जहां तहस नहस हो गया था। वही इस मंदिर के पीछे एक चट्टान खिसक कर आ गई थी जिसके चलते पानी दो हिस्सों में बट गया और मंदिर सुरक्षित रहा था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं ने असुरों से बचने के लिए शिव जी की आराधना की थी। इसके बाद शिव जी बैल के रूप में अवतरित हुए। बैल का नाम कोडारम था। इसी नाम से केदारनाथ नाम लिया गया है।
कहा जाता हैं कि जब केदारनाथ मंदिर बंद रहता है तो भैरोनाथ बाबा मंदिर की रक्षा के लिए स्वयं मौजूद रहते है। इसलिए केदारनाथ बाबा का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु हमेशा भैरोनाथ बाबा के दर्शन करके जाते हैं।