उज्जैन में काल भैरव बाबा महाकाल के सेनापति के रूप में विराजित हैं, जिन्हें मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
मंदिर में पुजारी काल भैरव के मुख पर मदिरा से भरा पात्र रखते ही वे उसे ग्रहण कर लेते हैं।
कहा जाता है कि भगवान शिव के क्रोध से भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था।
भक्तों को मानना है कि काल भैरव को मदिरा चढ़ाने से उनके ग्रह दोष और सारे दुर्गुण दूर हो जाते हैं।
काल भैरव अष्टमी पर मंदिर में भगवान को कई तरह के पकवान और मदिरा का भोग लगाया जाता है।