चुनावों में मतदान हर भारतीय नागरिक का अधिकार होता है। आइए जानते है वोट के बाद लगने वाली इंक को मिटाना आसान क्यों नहीं होता है?
इलेक्शन में वोट देने के बाद उंगली पर नीले रंग की स्याही लगाई जाती है। इस स्याही के लगने से आपका वोट स्पष्ट होता है। उंगली में लगने वाला पेंट मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड कंपनी बनाती है।
वोट की सुरक्षा के लिए उंगली में स्याही लगाई जाती है। उंगली में स्याही लगने यह सुनिश्चित करता है कि वोटर का वोट सुरक्षित है और उसके नाम से किसी और ने वोट नहीं किया है।
उंगली पर स्याही का लगा होना इस बात का प्रतीक होती है कि आपने वोट किया है या नहीं। भारतीय चुनाव में नीले रंग की स्याही को शामिल करने का श्रेय देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन को जाता है।
वोट देने के बाद उंगली में लगने वाली स्याही को इनडेलिबल इंक या इलेक्शन इंक के नाम से भी जाना जाता है। साल 1962 के चुनाव से इस स्याही का उपयोग किया जा रहा है।
मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड कंपनी थोक में चुनावी स्याही को नहीं बेचती है। इस कंपनी के द्वारा सरकार या चुनाव से जुड़ी एजेंसियों को इस स्याही की सप्लाई की जाती है।
इनडेलिबल इंक को बनाने में सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का उपयोग किया जाता है। इस इंक को स्किन से 72 घंटे में मिटाया नहीं जा सकता हैं।
40 सेकेंड से कम में भी इलेक्शन इंक सूख जाती है। इसका रिएक्शन इतनी तेजी से होता है कि उंगली पर लगने के महज एक सेकेंड में यह अपना निशान छोड़ देता है।
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